राकेश वालिया
हरिद्वार, 19 जून। भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्यूतानन्द तीर्थ महाराज ने चीनी सैनिकों के कायरतापूर्ण हमले में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश के प्रत्येक युवक व युवती को सैनिक प्रशिक्षण प्राप्त कर कुशल सैनिक बनने का संकल्प लेना होगा। 20 लाख सेना होने का दावा करने वाले चीन को संदेश दिया जाए कि उससे मुकाबला करने के लिए 50 करोड़ भारतीय तैयार हैं। संकल्पबद्ध होकर प्रधानमंत्री व सेना प्रमुख को देश के प्रति अपन समर्पण से अवगत कराएं। जिससे शत्रु का मनोबल नष्ट हो सके। उन्होंने कहा कि चीन जैसे गद्दार देश की कमर तोड़ने के लिए प्रत्येक भारतीय चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का संकल्प भी लें।
यदि सभी भारतीय चीनी सामान का बहिष्कार करते हैं तो चीन की आर्थिक रीढ़ टूट जाएगी और भविष्य में वह ऐसा दुस्साहस नहीं कर पाएगा। स्वामी अच्यूतानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि जिस प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के आह्वान पर पूरे देश ने प्रत्येक सोमवार को व्रत रखना शुरू किया था। उसी प्रकार एक बार फिर देश के युवा वर्ग को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रयास करना होगा। चीन जैसे धोखेबाज राष्ट्र को सबक सिखाने के लिए देशवासियों को हर प्रकार के त्याग के लिए तैयार रहना चाहिए। सभी देशवासियों के सहयोग से एक राष्ट्रीय कोष बनाया जाए। जिससे भारतीय सेना को आधुनिक हथियारों की उपलब्धता कराकर सेना का आत्मबल व बढ़ सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्र है तो हम हैं।
इस वाक्य को आदर्श मानकर युवा पीढ़ी को अपनी शक्ति व शौर्य के बल यह सिद्ध करना है कि भारत एक झूठे व धोखेबाज देश की गीदड़ धमकी स डरने वाला नही है। भारत का हर नौजवान देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगान वाले वीर सैनिको के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हो यही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इस दौरान स्वामी अच्यूतानन्द तीर्थ महाराज ने कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी को देखते हुए 2021 में होने वाले महाकुंभ के आयोजन को 2022 में कराने की मांग भी की है। उन्होंने कहा कि कोरोना का फिलहाल कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। कोरोना की वजह से भारतीय इतिहास में पहली बार तमाम मंदिरों को बंद करना पड़ा है। ऐसे में बीमारी की स्थिति तथा व्यापक जनहित को देखते हुए सरकार को कुंभ 2022 में कराने पर विचार करना चाहिए। संत समाज को भी सर्वसम्मति से कुंभ के आयोजन को आगे बढ़ाने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कुंभ के दौरान होने वाले अखाड़ों के स्नान को शाही स्थान के बजाए अमृत स्नान कहा जाना चाहिए।
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