चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी

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अमरीश


हरिद्वार, 12 अक्टुबर। चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं ने मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद चतुर्थ श्रेणी कर्मियों, संविदा, उपनल, आउटसोर्स कर्मियों को प्रोहत्साहन भत्ता नही दिए जाने पर निराशा व्यक्त करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधियों का कहना है कि चिकित्साधिकारियो और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रोहत्साहन भत्ता दिए जाने के आदेश जारी हो गए हैं । जिससे स्वास्थ्य विभाग केचतुर्थ श्रेणी कर्मियों में घोर निराशा है और आक्रोश व्याप्त हो रहा है जो कभी भी आंदोलन का रूप ले सकता है।

प्रदेश अध्यक्ष दिनेश लखेडा, महामन्त्री सुनील अधिकारी, प्रदेश उपाध्यक्ष नेलसन अरोड़ा, प्रवक्ता शिवनारायण सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के साथ हमेशा से अन्याय ही होता आ रहा है। पहले पदोन्नति नही की गई। अब मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद सम्मान के रूप में जो प्रोहत्साहन भत्ता दिया जाना है वो नही मिल रहा है। जबकि कोरोना ड्यूटी में कोरोना रोगियों की सेवा की बात आई तो सबसे पहले चतुर्थ श्रेणी कर्मियों, संविदा, उपनल, आउटसोर्स कर्मियों ठेका सफाई कर्मियों को ही वार्ड में रोगियों की सेवा के लिए भेजा गया।

कर्मचारियों ने अपनी जान पर खेलकर रोगियों की सेवा की। लेकिन जब सम्मान की बात आई तो हीलाहवाली जो कि दुःखद और अन्यायपूर्ण है और मुख्यमंत्री के आदेशों की अवेहलना है। प्रदेश ऑडिटर महेश कुमार, वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष गिरीश पंत, जिला मंत्री राकेश भँवर ने कहा कि कोरोना महामारी में कोविड वार्ड के साथ साथ जिला चिकित्सालय, रक्तकोष, सामुदायिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के फील्ड कर्मचारियों ने भी कार्य किया।

आयुर्वेद कर्मचारियों ने भी कोविड महामारी में कार्य किया। हरिद्वार के दोनों राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में कोविड वार्ड बनाये गए थे। उन्हें भी सम्मान दिया जाना चाहिए लेकिन उनको भी सम्मान नही दिया गया। प्रदेश में कई जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों ने कर्मचारियों के नाम भेजे ही नहीं और माननीय मुख्यमंत्री से 15 अगस्त को जो सम्मान मिला था। उसमे भी अपने अपने खासमखास कर्मचारियों को ही जगह दी गई। जिन कर्मचारियों ने कार्य किया था उनकी अनदेखी की गयी जो कि किसी भी तरह से न्यायोचित नहीं है।

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