कमल खडका
गंगा सभा पदाधिकारियों व प्रशासन की मौजूदगी में संतों ने किया गंगा पूजन
हरिद्वार, 15 सितम्बर। श्रीपंच दशनाम जूना आनंद भैरव अखाड़ा द्वारा उत्तराखण्ड के समस्त तीर्थो तथा चारो धाम की यात्रा हेतू निकाली जाने वाली प्राचीन पवित्र छड़ी यात्रा मंगलवार को गंगा पूजा अर्चना हेतु हर की पैड़ी स्थित ब्रहमकुण्ड पहुंची। जहां श्रीगंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा, महामंत्री तन्मय वशिष्ठ तथा सभा के पदाधिकारियों के सानिध्य में जिलाधिकारी सी.रविशंकर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सैंन्थिल अबुदई कृष्णराज एस,उपजिलाधिकारी गोपाल सिंह चौहान, एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय, सीओ पूर्णिमा गर्ग, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत स्वामी हरिगिरि महाराज, जूना अखाड़े के राष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज, सचिव श्रीमहंत महेशपुरी, श्रीमहंत शैलेन्द्र गिरि, निरजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी, महानिर्वाणी अखाड़े के श्रीमहंत किशनपुरी, निर्मल अखाड़े के श्रीमहंत ज्ञानदेव शास्त्री, अटल अखाड़े के श्रीमहंत बलराम भारती आदि ने पवित्र छड़ी का विधिवत पूजन कर मां गंगा से यात्रा की सफलता की कामना की।
पूजन के उपरांत छड़ी को गंगा स्नान कराकर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के शीघ्र स्वस्थ होने तथा वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से मुक्त दिलाने के लिए प्रार्थना की गयी। हरकी पैड़ी से छड़ी नगर भ्रमण करती हुई श्री दक्षेश्वर महादेव मन्दिर कनखल पहुंची। जहां विद्वान पुरोहितों ने छड़ी का अभिषेक किया तथा आशुतोष भगवान दक्षेश्वर महादेव की पूजा अर्चना कर यात्रा की सफलता के लिए आर्शीवाद प्राप्त किया। इस अवसर पर कोठारी लाल भारती, कारोबारी महंत महादेवानन्द, थानापति नीलकंठ गिरि, रणधीर गिरि, विवेक पुरी, परमानन्द गिरि, राजेन्द्र गिरि, महंत पुष्करराज गिरि आदि उपस्थित रहे।
श्रीमहंत हरिगिरि ने बताया प्राचीन पवित्र छड़ी 17 सितम्बर को विधिवत उत्तराखण्ड यात्रा पर रवाना हो जाएगी। पूरे उत्तराखण्ड तथा समस्त तीर्थो व चारों धाम की यात्रा के पश्चात 12 अक्टूबर को वापस मायादेवी मन्दिर पहुंचेगी। जूना अखाड़ा के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि ने कहा कि केन्द्र तथा उत्तराखण्ड दोनों जगह दृढ संकल्प व इच्छाशाक्ति का नेतृत्व है। इसलिए जहां कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का समूल नाश होगा, वहीं अगामी कुम्भ मेला भी निर्विघ्न रूप व सकुशल सम्पन्न होगा। उ
न्होने कहा कि छड़ी यात्रा का उददेश्य उत्तराखण्ड में उपेक्षित हो रहे पौराणिक तीर्थो का जीणोद्वार तथा विकास करना है, ताकि जहां जनमानस में इनको पुनः स्थापित किया जा सके। वहीं स्थानीय नागरिकों को रोजगार भी उपलब्ध हो सके। उत्तराखण्ड की सबसे बड़ी समस्या पलायन को रोकने के लिए इस छड़ी यात्रा के माध्यम से शासन, प्रशासन तथा स्थानीय युवको को जोड़ा जायेगा।