भक्ति के प्रवाह को बढ़ाती है विष्णु महापुराण कथा-स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी

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विक्की सैनी

हरिद्वार, 14 मार्च। महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा है कि गंगा तट पर विष्णु पुराण कथा के श्रवण मात्र से ही भक्तों का उद्धार हो जाता है। जो इस संसार सागर से सुख शांति पूर्वक पार करने के लिए सुदृढ़ नौका के सामने है। मन की शुद्धि के लिए विष्णु पुराण से बढ़कर कोई साधन नहीं है। पंतदीप मैदान में बाबा बंशी वाले महाराज के तत्वावधान में आयोजित श्री विष्णु महापुराण कथा के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संपूर्ण सिद्धांतों का निष्कर्ष यह ग्रंथ मृत्यु के भय को मिटाकर व्यक्ति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है और भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि विष्णु पुराण वेद तुल्य है और भगवान श्री हरि की प्रसन्नता का साधन है। जिसके श्रवण से व्यक्ति को यश, कीर्ति और वैभव की प्राप्ति होती है। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि बाबा बंशी वाले महाराज अपने तप व विद्वता के माध्यम से भारत ही नहीं अपितु समूचे विश्व में भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म की पताका को फहरा रहे हैं।

ऐसे महापुरूषों को संत समाज नमन करता है। युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि श्री विष्णु पुराण मां गंगा की भांति बहने वाली ज्ञान की अविरल धारा है। जिसे जितना ग्रहण करो उतनी ही जिज्ञासा बढ़ती है और प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। कथा श्रवण के माध्यम से व्यक्ति परमात्मा की शरण में पहुंचता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। बाबा बंशी वाले महाराज ने कहा कि कथाएं तो अनवरत चलने वाली धार्मिक अनुष्ठान हैं। परंतु प्रस्तुति व्यक्ति के मन को स्वंदित करती है और कथा की सार्थकता तभी है। जब हम इसके प्रसंगों को श्रवण कर उसे अपने जीवन व्यवहार में शामिल करें। कथा के यजमान मदन मोहन शर्मा ने कहा कि बाबा बंशी वाले महाराज संत समाज का गौरव हैं। जो वृद्ध अवस्था में भी सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर समाज को ज्ञान की प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं। कथा में पधारे सभी संत महापुरूषों का विकास शर्मा, रविन्द्र त्यागी व मदन मोहन शर्मा ने फूलमालाएं पहनाकर स्वागत किया और आशीर्वाद प्राप्त किया।

इस अवसर पर महंत सूरज दास, स्वामी दिनेश दास, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी राधाकांताचार्य, स्वामी अनुरागी महाराज, आचार्य पवन दत्त मिश्र, अंकुश शुक्ला, पंडित शिवकुमार शर्मा, पंडित प्रमोद पाण्डेय,  विवेकानंद ब्रह्मचारी, बालमुकुंदानंद ब्रह्मचारी, शकुन्तला देवी गोयल, सतीश गोयल, भूषण गोयल, निधि गोयल, भावना गोयल, सलोनी गोयल, सामर्थ गोयल, राघव गोयल, श्लोक गोयल, कमलेश जिंदल, देवराज जिंदल, ममता जिंदल, पंकज जिंदल, विपिन, सियाराम अग्रवाल, कृष्ण कुमार, सत्यपाल चैहान, अश्विनी गर्ग, पवन आदि उपस्थित रहे।

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