राकेश वालिया
हरिद्वार, 17 मार्च। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा है कि संतों का कार्य समाज में सद्भाव का वातावरण बनाकर सन्मार्ग की प्रेरणा देना होता है। महापुरूषों ने सदैव समाज को नई दिशा प्रदान की है। उक्त उद्गार उन्होंने कनखल स्थित अखाड़े में ब्रह्मलीन संत करतार सिंह कंघ साहबू जालंधर वाले महाराज के श्रद्धांजलि समारोह में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि महापुरूष केवल शरीर त्यागते हैं। समाज कल्याण के लिए उनकी आत्मा सदैव व्यवहारिक रूप से उपस्थित रहती है। संत करतार सिंह तो साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने अपने जीवनकाल में सदैव सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार कर समाज को ज्ञान की प्रेरणा दी। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि संतों के दर्शन मात्र से पापों की निवृत्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है।
जीवन में ज्ञान का प्रकाश होता है। ब्रह्मलीन संत करतार सिंह महाराज एक महान संत थे। जिन्होंने सदैव गरीब, असहाय लोगों की मदद कर समाज को समरसता का संदेश दिया। ऐसे महापुरूषों को संत समाज नमन करता है। महंत खेमसिंह महाराज व महंत अमनदीप सिंह महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। संत करतार सिंह महाराज सेवाभावी संत थे। उनके सेवा कार्यो से प्रेरणा लेकर सभी को समाज सेवा में योगदान करना चाहिए। महंत गुरमीत सिंह महाराज ने कहा कि संतों का जीवन सदैव परोपकार को समर्पित रहता है। संत ही अपने भक्तों को ज्ञान की प्ररेणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
ब्रह्मलीन संत करतार सिंह महाराज एक दिव्य महापुरूष थे। जिन्होंने अपने जीवन काल में सदैव युवा संतों का मार्गदर्शन कर उन्हें सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए प्रेरित किया। इस असवर पर महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेश दास, महंत दलजीत सिंह, महंत सतनाम सिंह, , महंत निर्मल दास, महंत प्रेमदास, महंत दामोदर दास, पंडित प्रदम प्रकाश सुवेदी, संत रामस्वरूप सिंह, महंत सुखमन सिंह, संत तलविन्दर सिंह, संत जसकरण सिंह, संत विष्णु सिंह, संत रोहित सिंह आदि उपस्थित रहे।
फोटो नं.6-संत करतार सिंह कंघ को श्रद्धांजलि देते निर्मल अखाड़े के संत
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