माता निर्मला देवी के सहजयोग ध्यान साधना के 51 वर्ष पूर्ण

Dharm
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तनवीर
2 मई को होगा ऑनलाईन आत्मसाक्षात्कार और ध्यान का कार्यक्रम का आयोजन

हरिद्वार, 30 अप्रैल। सहजयोग की प्रणेता माता निर्मला देवी द्वारा सहजयोग ध्यान पद्धति विकसित करने के 51 वर्ष पूरे होने पर 2 मई को आॅनलाईन आत्मसाक्षात्कार और ध्यान कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। सहज योग परिवार हरिद्वार के काॅर्डिनेटर पवन कुमार अरोड़ा ने बताया कि पुणे (महाराष्ट्र) स्थित सहजयोग प्रतिष्ठान में आयोजित किए जा रहे कार्यक्रम का प्रसारण लर्निंग सहजयोगा यूट्यूब चैनल पर किया जाएगा।

इस दौरान 20 जून तक आॅनलाईन कार्यशाला का आयोजन भी किया जाएगा। इच्छुक साधक घर बैठे ही आॅनलाईन कार्यशाला में सम्मिलित होकर सहजयोग ध्यान सीख सकते हैं। पवन कुमार अरोड़ा ने बताया कि माता निर्मला देवी ने ने 5 मई 1970 को नारगोल (गुजरात) में समंदर किनारे ध्यानस्थ अवस्था मे जाकर सहस्त्रधार चक्र भेदन और कुंडलिनी जागरण द्वारा आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने की पद्धति सहजयोग ध्यान शुरु किया । इस घटना को 51 वर्ष पूर्ण हो रहे है। उन्होंने बताया कि सहज का अर्थ है आपके साथ जन्मा हुआ। स्वाभाविक बिना किसी प्रयास के घटित होने वाला और योग का अर्थ है ईश्वरीय शक्ति से जुड़ना। प्रत्येक मानव के शरीर में जन्म से ही एक सूक्ष्म यंत्र होता है। उसकी जागृति से ईश्वरी शक्ति से योग एवं ध्यान का लाभ प्राप्त होता है। इस अनुभव को आत्मसाक्षात्कार कहा जाता है। सभी धर्मों में इसका महत्व समझाया गया है। प्रतिदिन घर पर ध्यान करके और सप्ताह में एक बार सामूहिक ध्यान के द्वारा हम अपनी सुंदर ध्यान स्थिति स्थापित कर सकते हैं।

इसे किसी भी उम्र, जाति और धर्म के लोग कर सकते हैं। प्रत्येक मानव को आत्मसाक्षात्कार प्राप्त हो और उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन एवं संतुलन आये। उसका जीवन आनंददायी हो। इस उद्देश्य से माता निर्मला देव ने विश्व भर में यात्रायें की और सहजयोग ध्यान, भारतीय संस्कृति, कला, भारतीय जीवनशैली और दैवीय ज्ञान का प्रचार प्रसार किया। मानसिक शांति प्राप्त करने के लिये और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिये सहजयोग ध्यान सबके लिये बहुत ही लाभदायक है।

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