भक्ति की कोई उम्र नहीं होती-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


हरिद्वार, 3 दिसम्बर। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में मोहल्ला मेहतान पीठ बाजार ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने ध्रुव एवं प्रहलाद चरित्र वर्णन कराते हुए बताया कि भक्ति की कोई उम्र नहीं होती है। शास्त्री ने कहा कि पांच वर्ष का बालक ध्रुव जब अपने पिता महाराज उत्तानपाद की गोद में बैठने जा रहा था।

तभी उसकी सौतेली मां महारानी सुरुचि ने बालक ध्रुव को पिता की गोद में बैठने से रोका और कहा कि पिता की गोद में तभी बैठ सकते हो जब तुम भगवान की तपस्या करो और भगवान से वरदान प्राप्त कर मेरे गर्भ से जन्म लोगे। सौतेली मां के इन वचनों को सुनकर पांच वर्ष का बालक ध्रुव घर छोड़ कर वृंदावन की पावन भूमि पर पहुंच गया। वहा पहुंच कर कठोर से कठोर साधना करने लगा।

साधना से प्रसन्न होकर भगवान नारायण ध्रुव को अपनी गोदी में बैठा कर अपना स्नेह प्रदान करते हैं और आशीर्वाद देते हैं कि तीस हजार वर्षों तक तुम राज सिंहासन पर बैठोगे और उसके बाद बिना शरीर त्यागे सशरीर ध्रुव पद को प्राप्त हो जाओगे। शास्त्री ने बताया कि वही पांच वर्ष का बालक ध्रुव आज ध्रुवतारे के रूप में चमक रहा है। ठीक इसी प्रकार से भागवत में प्रहलाद का भी चरित्र आता है। प्रहलाद का जन्म राक्षस कुल में हुआ। परंतु प्रहलाद जन्म से ही भगवान की अनन्य भक्ति करते हैं।

प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यपु ने प्रहलाद को मारने के लिए अनेकों प्रकार के उपाय किए। परंतु भगवान नारायण ने प्रहलाद का बाल भी बांका होने नहीं दिया और स्वयं खंभे में से नरसिंह बनकर के भगवान नारायण प्रकट हुए और हिरण्यकशिपु का संहार किया। शास्त्री ने बताया ध्रुव एवं प्रहलाद के इन चरित्रों को सुनकर हमें यही शिक्षा लेनी चाहिए जो भगवान की भक्ति करता है। भगवान उसकी हर स्थिति परिस्थिति में रक्षा करते हैं एवं उसको ध्रुव जैसा उत्तम पद प्रदान कर देते हैं और वही आगे चलकर के समाज में मान प्रतिष्ठा प्राप्त कर नाम अमर करता है।

चतुर्थ दिवस की कथा में भक्तों ने वामन चरित्र गजेंद्र मोक्ष की कथा, भगवान श्रीराम का चरित्र श्रवण किया एवं श्री कृष्ण जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया। इस अवसर पर कथा के मुख्य जजमान प्रभावती, सुषमा, अलका, गरिमा, अविनाश, सुमन अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल, प्रिया अग्रवाल, गौरव अग्रवाल, सुजाता, सुमन, मंगल एवं समस्त अग्रवाल परिवार ने भागवत पूजन एवं व्यास पूजन संपन्न किया।

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