अमरीश
हरिद्वार, 2 अप्रैल। चैत्र माह में हमेशा धूमधाम से मनायी जाने वाली दुर्गा अष्टमी के बाद नवमी का पर्व भी श्रद्धालुओं ने बेहद साधारण तरीके से मनाया। वीरवार को नौ दिन तक चलने वाले नवरात्र संपन्न हो गए। कोरोना वायरस से निपटने के लिए किए गए तीन सप्ताह के लाॅकडाउन की वजह से श्रद्धालुओं ने घरों में ही रहकर देवी दुर्गा की आराधना की। वर्ष में दो बार अश्विन व चैत्र माह में होने वाला नवरात्र का पर्व श्रद्धालु बेहद उत्साह से मनाते हैं। इस दौरान मंशा देवी, चण्डी देवी, मायादेवी, श्री दक्षिण काली मंदिर सहित तमाम मंदिरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।
कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए किए गए लाॅकडाउन में मंदिर भी 21 दिनों के लिए बंद किए गए हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं ने घरों में ही रहकर नवरात्र व्रत व पूजन संपन्न किया। बुधवार को अष्टमी का पर्व मनाया गया। वीरवार को नवमी होने के साथ ही नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र व्रत संपन्न हो गए। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लाॅकडाउन व सामाजिक दूरी बनाने के निर्देशों को देखते हुए लोगों ने नवमी पर होने वाले कंजका पूजन बेहद सीमित तरीके से किया। श्रद्धालुओं ने बाहर से कन्याएं बुलाने के बजाए अपने घर की कन्याओं को ही कंजका पूजन में सम्मिलित किया।
धर्मनगरी होने के नाते हरिद्वार में मंशा देवी, चण्डी देवी, मायादेवी, श्री दक्षिण काली मंदिर आदि सहित तमाम पौराणिक देवी मंदिरों में नवरात्र का पर्व हमेशा ही धूमधाम से मनाया जाता है। अष्टमी व नवमी पर कंजका पूजन के लिए बड़ी संख्या में कन्याओं को बुलाया जाता है। विशेष भण्डारों का आयोजन भी किया जाता है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन इस बार किसी भी मंदिर में इस तरह के आयोजन नहीं किए गए। आम श्रद्धालुओं ने जहां घर की कन्याओं का पूजन कर व्रत का पारायण किया। वहीं मंदिरों में बड़ा आयोजन करने के बजाए सड़कों पर रह रहे जरूरतमंदों को प्रसाद वितरण किया गया।