श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का श्रवण कराया

Dharm
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अमरीश


हरिद्वार, 4 दिसम्बर। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में मोहल्ला मेहतान पीठ बाजार ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का श्रवण कराते हुए बताया कि इस बात को समझना चाहिए कि भगवान ने माखन चोरी एवं चीर चोरी क्यों की। शास्त्री ने बताया सभी बृजवासी मथुरा जाकर दूध, दही, मक्खन बेचते थे।

बृजवासी बालकों को दूध दही मक्खन नहीं मिल पाता था। जिसके कारण बृजवासी बालक बहुत ही ज्यादा दुबले-पतले और कमजोर थे। जबकि मथुरा में कंस एवं कंस के जितने भी साथी राक्षस थे। सब दूध दही मक्खन खा कर पहलवान हो रहे थे। भगवान श्री कृष्ण ने योजना बनाई कैसे राक्षसों का बल कम हो और बृजवासी बालकों का बल ज्यादा हो। इसके लिए श्रीकृष्ण ने सोचा कि इसका एक ही उपाय है। गोपिकाओ के घर में जाकर बृजवासी बालकों को दूध दही माखन खिलाया जाए। जिससे बालकों का बल बढ़े और राक्षसों का बल घटे।

भगवान श्रीकृष्ण का माखन चुराने का एक ही मकसद था राक्षसों का बल कम हो और बृजवासी बालकों का बल अधिक हो ताकि राक्षसों का संहार हो सके। इसके बाद उन्होंने एक-एक करके अघासुर, बकासुर, कंस जैसे अनेकों राक्षसों का संहार किया। शास्त्री ने बताया कि इसी प्रकार से भगवान ने गोपियों के संग चीरहरण लीला की। इसके पीछे प्रयोजन यह था की जब गोपिकाएं यमुना में स्नान किया करती थी तो कंस के राक्षस गोपीकाओं को छुपछुप करके देखते थे और पकड़ कर उनके साथ अभद्र व्यवहार करते थे। चीरहरण के माध्यम से कन्हैया ने सभी को स्नान करते समय, दान देते समय, सोते समय, चलते फिरते समय बिना वस्त्रों के नहीं रहने की शिक्षा दी। शास्त्री ने बताया कि कृष्ण ने जिस समय पर गोपियों के संग चीरहरण लीला की उस समय पर कृष्ण की अवस्था 6 वर्ष की थी 6 वर्ष का बालक किसी के वस्त्र चुरा करके क्या करेगा। भगवान श्रीकृष्ण सभी लीलाओं के पीछे कुछ न कुछ रहस्य छुपा हुआ है।

बाल लीलाओं का श्रवण कराते हुए शास्त्री ने गोवर्धन महोत्सव की कथा का भी श्रवण कराया और कॉलोनी वासियों ने मिलकर भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग अर्पण किए। मुख्य जजमान सुमन अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल, प्रिया अग्रवाल, गौरव अग्रवाल एवं समस्त अग्रवाल परिवार ने भागवत पूजन एवं व्यास पूजन किया।

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