त्याग एवं तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे ब्रह्मलीन स्वामी सतनाम दास-श्रीमहंत रघुमुनि

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गौरव रसिक

हरिद्वार, 23 मई। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत रघुमुनि महाराज ने कहा है कि वैराग्य वृत्तियों से युक्त जगतगुरु उदासीनाचार्य महाराज का अवतरण सनातन धर्म के संरक्षण संवर्धन एवं पुनरुद्धार के लिए हुआ। जिनके जीवन का अनुसरण कर संत समाज राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में अपना अतुल्य सहयोग प्रदान कर रहा है और महापुरुषों ने सदैव ही समाज का मार्गदर्शन कर राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर किया है।

जस्सा राम रोड स्थित जगतगुरु उदासीन आश्रम के 51वंे वार्षिक महोत्सव के उपलक्ष में आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रघुमुनि महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी सतनाम दास महाराज त्याग एवं तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने जीवन पर्यंत सनातन परंपराओं का निर्वहन करते हुए धर्म और संस्कृति का प्रचार प्रसार किया। समाज कल्याण में उनका अहम योगदान हमेशा स्मरणीय रहेगा।

कोठारी महंत दामोदर दास महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। ब्रह्मलीन स्वामी सतनाम दास महाराज उदारता की पराकाष्ठा थे। जिन्होंने संपूर्ण भारतवर्ष का भ्रमण कर धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भावी पीढ़ी को प्रदान की। ऐसे महापुरुषों के जीवन से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।

कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए जगतगुरु उदासीन आश्रम के अध्यक्ष महंत सुतीक्ष्ण मुनि महाराज ने कहा कि गौ, गंगा, संरक्षण और धर्म का प्रचार प्रसार करते हुए समाज सेवा ही उनका मूल उद्देश्य है। संत समाज अपने सेवा प्रकल्पकों के माध्यम से हमेशा ही राष्ट्र निर्माण में सहयोग करता आया है। पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी सतनाम दास महाराज ने उन्हें हमेशा ही वैदिक धर्म संस्कृति और राष्ट्र के उद्धार की प्रेरणा दी। ऐसे उच्च कोटि के दार्शनिक, विचारक, सामंतवादी महापुरुष समाज को विरले ही प्राप्त होते हैं।

उनके द्वारा गंगा तट से जो सेवा के प्रकल्प प्रारंभ किए गए थे। उनमें निरंतर बढ़ोतरी कर संत समाज की सेवा करना ही उनके बताए मार्ग का अनुसरण होगा। उन्होंने कहा कि संतो के दर्शन मात्र से व्यक्ति का उद्धार हो जाता है और जिस प्रकार से उन्हें संत समाज का स्नेह प्राप्त हो रहा है। वह उनके लिए अनुकरणीय है।

युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री एवं स्वामी हरिहरानंद महाराज ने कहा कि अपना जीवन परोपकार को समर्पित करने वाले संत महापुरुष सदैव ही अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। ब्रह्मलीन स्वामी सतनाम दास महाराज एक महान संत थे। जिनके आदर्शो को अपनाकर युवा संत के रूप में महंत सुतीक्ष्ण मुनि महाराज आश्रम द्वारा संचालित सेवा प्रकल्पों में निरंतर बढ़ोतरी कर रहे हैं।

इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी प्रकाशमुनि, महामंडलेश्वर स्वामी वेदानंद, महंत निर्मल दास, महंत प्रेमदास, महंत दर्शन दास, महंत श्रवण मुनि, महंत श्याम प्रकाश, संत गुरमीत सिंह, महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप, स्वामी दिनेश दास, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत प्रह्लाद दास, श्रीमहंत विष्णु दास, महंत प्रेमदास, स्वामी रघुवन, समाजसेवी एमके सेठी, वेंकट काबरा, चैधरी स्वरूप सिंह, उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री जयप्रकाश यादव ,राजू आर्य, महेंद्र त्यागी, श्रद्धानंद त्यागी सहित बड़ी संख्या में संत महंत उपस्थित रहे।

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