सुख समृद्धि प्रदान करती है भगवान शिव की आराधना-स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी

Dharm
Spread the love

राकेश वालिया

हरिद्वार, 9 जुलाई। श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि श्रावण मास में की गयी भगवान शिव की आराधना व्यक्ति को सुख समृद्धि व यश वैभव प्रदान करती है। श्रद्धा एवं विधानपूर्वक की गयी भगवान भोलेनाथ की पूजा व्यक्ति को भवसागर से पार लगाती है। भक्तों के जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर भगवान शिव लेकर जाते हैं और उनका कल्याण स्वयं भगवान शिव करते हैं। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि श्रावण में महादेव शिव देवी पार्वती के साथ कनखल स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर में निवास कर सृष्टि का संचालन करते हैं।

ऐसे में सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही उनके दर्शन का लाभ प्राप्त होता है। भगवान शिव की पूजा से युग युगांतर के पापों का शमन हो जाता है और जीवन उन्नति की ओर अग्रसर होता है। इसलिए भगवान शिव के साथ मां भगवती की भी पूजा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि श्री दक्षिण काली मंदिर में श्रावण मास के दौरान भक्तों को माई के दर्शन ओर कृपा के साथ साथ महादेव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है और गंगा मां की असीम कृपा भी साधकों पर बरसती है। श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से वे बेहद प्रसन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि समुद्र मंथन सावन मास में ही हुआ था। जब मंथन से विष निकला तो पूरे संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया।

विष से उनका कंठ नीला पड़ गया। जिससे वे नीलकंठ कहलाए। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि अपने कंठ में विष धारण कर संसार की रक्षा करने वाले भगवान शिव कोरोना महामारी से भी पूरे संसार की रक्षा करेंगे। श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा-आराधना का विशेष विधान है। श्रावण मास में बेल पत्र से भगवान भोलेनाथ की पूजा करना और उन्हें जल चढ़ाना अति फलदायी होता है। प्रसन्न होने पर भगवान शिव भक्त की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। जो भक्त सावन महीने में सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ महादेव का पूजन व जलाभिषेक करते हैं। उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है।

भगवान शिव की कृपा से समस्त रोग दूर हो जाते हैं। दुर्घटना और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। इस दौरान आचार्य पवनदत्त मिश्र, पंडित प्रमोद पाण्डे, स्वामी विवेकानंद ब्र्हम्मचारी, बालमुकुंदानंद ब्रह्मचारी, अंकुश शुक्ला, सागर ओझा, अनूप भारद्वाज, पंडित शिवकुमार शर्मा आदि मौजूद रहे।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *