विडियो :-युवा संतों ने किया आचार्य म.म.स्वामी कैलाशनंद गिरी के वजन के बराबर तुलादान

Haridwar News
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तनवीर/ अमरीश
संत परंपरा से ही भारत की पहचान है-स्वामी कैलाशानंद गिरी
हरिद्वार, 23 जनवरी। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज को निरंजनी अखाड़े का आचार्य महाण्डलेश्वर बनाए जाने पर युवा संतों ने श्री दक्षिण काली मंदिर पहुंचकर उनका अभिनंदन कर तुलादान किया।

इस दौरान निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य म.म.स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज को अनाज, सब्जियां, मिष्ठान, फल, फूल से तराजू में बैठाकर तोला गया। युवा संतों व श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि संत परंपरा से ही भारत की पहचान है।

तपोनिधि श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के आचार्य महामण्डलेश्वर के रूप में भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म का देश विदेश में प्रचार प्रसार करने के साथ अखाड़े की पंरपराओं को मजबूत किया जाएगा। युवा संतों को सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार आमजन का मार्गदर्शन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि महाकुंभ सनातन संस्कृति को विराट स्वरूप में प्रस्तुत करने वाला पर्व है।

आध्यात्मिक दृष्टि से कुंभ विश्व का सबसे बड़ा धर्मिक आयोजन भी है। अखाड़ों से कुंभ की पहचान है। कुंभ के दौरान देश भर से आने वाले विभिन्न अखाड़ों के महापुरूषों के दर्शन व गंगा स्नान के लिए करोड़ों श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं। कुंभ में दौरान हरिद्वार के गंगा तट पर होने वाला विशाल संत समागम पूरे विश्व को आलोकित करते हुए नई दिशा प्रदान करेगा।

निंरजनी अखाड़े के स्वामी आनन्द गिरी महाराज ने कहा कि विशेष अवसर या किसी श्रेष्ठ व्यक्ति के उच्च पद पर आसीन होने पर तुलादान का आयोजन किया जाता है। स्वामी कैलाशानंद गिरी जैसे विद्वान संत का तपोनिधि श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के आचार्य महामण्डलेश्वर पद पर विराजमान होना सभी के लिए गौरव की बात है। इसी उपलक्ष्य में युवा संतों ने आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के तुलादान उत्सव का आयोजन किया है। तुलादान में प्रयुक्त सामग्री का वितरण करने से परिवारों में सुख समृद्धि का वास होता। परिवार में खुशीयां आती हैं।

उन्होंने कहा कि आचार्य म.म.स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के नेतृत्व में निरंजनी अखाड़ा धर्म व अध्यात्म के क्षेत्र में नई ऊंचाईयां प्राप्त करेगा। महंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि आचार्य म.म.स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज एक श्रेष्ठ व विद्वान संत हैं। उनके नेतृत्व में अखाड़ा व संत परंपरा और मजबूत होगी तथा कुंभ मेला भव्य व दिव्य रूप से संपन्न होगा। इस अवसर पर स्वामी अनुरागी महाराज, स्वामी राधाकांताचार्य, आचार्य पवनदत्त मिश्र, स्वामी सत्यव्रतानंद, म.म.स्वामी विवेकानन्द सरस्वती, अवंतकानंद ब्रह्मचारी, कृष्णानंद ब्रह्मचारी, बालमुकुंद ब्रह्मचारी, साध्वी विजय लक्ष्मी, साध्वी जयश्री आदि मौजूद रहे।

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