अमरीश
हरिद्वार, 15 जून। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार के तत्वाधान में भारतमाता पुरम भूपतवाला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने गंगा दशहरा स्नान का महत्व बताते हुए कहा कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का गंगा धरती पर आयी थी। इस दिन आनंद योग, सिद्ध योग और व्यतिपात योग तथा हस्त नक्षत्र जैसे शुभ संयोग बने थे। गंगा दशहरा के दिन बनने वाले इन संयोग में जब कोई व्यक्ति गंगा स्नान कर प्रभु को याद करता है, और अपने जीवन काल में किए गए अपराधों की क्षमा प्रार्थना मांगता है तो उसके सभी अपराधों से उसे मुक्ति मिल जाती है।
शास्त्री ने कहा कि गीता में कहा गया है कि संसार रूपी वृक्ष में परमात्मा ही प्रधान हैं। इसलिए गंगा दशहरे के दिन बेहद संयमित और साधारण जीवनचर्या का पालन करना चाहिए और प्रभु का ध्यान करना चाहिए। यदि गंगा स्नान करना संभव नहीं है तो घर में ही गंगा जल मिलाकर स्नान करें और योग्य याचकों को दान-दक्षिणा देकर पुण्य प्राप्त करें। इस अवसर पर मुख्य यजमान रामदेवी गुप्ता, रामकुमार गुप्ता, रजनी कुरेले, राजीव कुरेले, रागनी गुप्ता, दीपक गुप्ता, नेहा गुप्ता, सुधीर गुप्ता, कल्पना गुप्ता, अजय गुप्ता, निम्मी गुप्ता, विजय गुप्ता, पुष्पादेवी कुरेले, अशोक कुरेले, शालिग्राम गुप्ता, रामकुमारी गुप्ता, संजीव कुमार गुप्ता, अंकिता गुप्ता, हरिमोहन बडोनिया, गीता बडोनिया, मुकुंदीलाल गुप्ता, मुनि देवी गुप्ता, धर्मेंद्र गुप्ता, गायत्री गुप्ता, सुरेंद्र बल्यिया, सुनीता बल्यिया, पंडित प्रकाश चंद्र जोशी, पंडित मनोज कोठियाल आदि ने भागवत पूजन कर कथाव्यास से आशीर्वाद लिया।


