प्रमोद गिरि
हरिद्वार, 23 सितम्बर। प्रेस क्लब तथा श्रवण सेवा एवं शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में प्रेस क्लब सभागार में हिन्दी विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथी पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डा.महावीर अग्रवाल ने कहा कि यह विडंबना है कि हिंदी जिसे भारत की राष्ट्रभाषा के पद पर आसीन होना चाहिए था। आज विदेशों में सम्मानित होने के बावजूद, अपने देश भारतवर्ष में स्वतंत्रता प्राप्ति के 76 वर्ष बीत जाने के बाद भी स्वयं को अपमानित करती चली आ रही है।
उन्होंने कहा कि हिन्दी देश की न केवल एकमात्र सम्पर्क भाषा है। बल्कि विभिन्न भाषा भाषीयों को एकसूत्र में पिरो कर रखने का कार्य भी करती है। समारोह की अध्यक्षता कर रहे चेतना पथ के सम्पादक कवि और साहित्यकार अरुण कुमार पाठक ने कहा कि हिन्दी को देश की राष्ट्रभाषा न घोषित किये जाने के राजनैतिक व भौगोलिक कारण तो हैं ही, इससे बड़ा कारण यह है कि आज भी देश का आम जनमानस हिन्दी लिखने, पढ़ने और बोलने में ख़ुद में हीनता का अनुभव करता है। जबकि आँकड़ों अनुसार देश में हिंदीभाषी राज्यों और लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। जिस दिन देश का जनमानस हिन्दी के प्रयोग के लिये खुद की मानसिकता तैयार कर लेगा, हिन्दी स्वयं ही राष्ट्रभाषा बन जायेगी।
श्रवण सेवा एवं शोध संस्थान के संस्थापक सचिव डा.अशोक गिरि ने कहा कि संस्था का सबसे प्रमुख उद्देश्य हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाना है तथा संस्था इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सदैव तत्पर है। उन्होंने आह्वान किया कि भारत के प्रत्येक हिंदी प्रेमी को अपनी ओर से इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु हर संभव प्रयास करने चाहिए। समाजसेवी ई.संजय सैनी ने कहा कि अब समय आ गया है, जब हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि संस्था आगामी वर्षों में हाई स्कूल की ही तरह इंटरमीडिएट में भी स्कूलों में हिंदी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित करने की योजना बना रही है। गोष्ठी में डा.एन.पी. सिंह ने प्रयोजनमूलक हिन्दी की वर्तमान स्थिति एवं भविष्य, डा.प्रेरणा पांडे ने भारतीय संविधान में राजभाषा प्रावधान, डा.मोना शर्मा ने हिन्दी की गद्य विधाओं की वर्तमान स्थिति एवं भविष्य विषय पर अपने विचार रखे। विशिष्ट अतिथि भानु प्रताप शर्मा, साहित्यकार एवं कवियित्री डा.मेनका त्रिपाठी, डा.विजय कुमार त्यागी, डा.विनीत अग्निहोत्री, रविन्द्र मिश्र आदि ने भी विचार गोष्ठी को सम्बोधित किया।
गोष्ठी का शुभारंभ देवी सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। वैष्णवी डांस क्रिएशन्स के बाल कलाकारों ने वर दे वीणा वादिन पर नृत्य प्रस्तुति दी। इस दौरान हरिद्वार के 46 स्कूलों में हाईस्कूल की परीक्षा में हिंदी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को उपहार तथा प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
इस दौरान काव्य गोष्ठी का आयोजन भी किया गया। जिसमें डा.विजय कुमार त्यागी, रेखा सिंघल, वैष्णवी झा, वृंदा शर्मा, अर्चना वालिया, अपराजिता, डा.सुशील कुमार त्यागी अमित, राजकुमारी राजेश्वरी, संजय परगाईं आदि कवियों ने हिन्दी पर आधारित काव्य रचनाओं का पाठ किया। वैष्णवी झा ने कथक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति भी दी। सभी अतिथियों व प्रतिभागियों को अंगवस्त्र, पुष्पहार व प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। एड. कुणाल गिरि ने श्रवण सेवा एवं शोध संस्थान के उद्देश्यों की जानकारी दी। संचालन डा.अशोक गिरि ने किया। कार्यक्रम में गीतकार सुभाष मलिक, भूदत्त शर्मा, डा.कल्पना कुशवाहा, ब्रिजेंद्र हर्ष, सुमन पंत, नीता नैयर, अनिरुद्ध भाटी, विनीत जौली, बलराम गिरि, प्रमोद गिरि, पंकज गिरि, अभिषेक धीमान, कैलाश भट्ट, अमन दीप, कुलभूषण शर्मा, सुभाष कपिल, बालकृष्ण शास्त्री, दीपा माहेश्वरी, सुनील शर्मा आदि प्रमुखरूप से उपस्थित रहे।


