हृदय रोग से बचाव के लिए संयमित दिनचर्या, व्यायाम व उचित खानपान अपनाएं-डा.जगजीत सिंह

Haridwar News
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हिमांशु द्विवेदी


हरिद्वार, 22 जनवरी। कैंसर शब्द के सुनते ही दिल में डर पैदा हो जाता है। लेकिन यह तथ्य भी याद रखना चाहिए कि आज भी सबसे अधिक मौतें हृदय रोग से ही हो रही हैं। यह धारणा भी गलत है कि हार्ट अटैक केवल पुरुषों को ही होता है। जबकि सामान्य 50 वर्ष की महिलाओं के जीवन में कैंसर की अपेक्षा हृदय रोग से पीड़ित होने की आशंका तीन गुना अधिक है।

पूरे विश्व में करीब एक तिहाई लोगों की मृत्यु हृदय रोग के कारण होती है। इसलिए इस तथ्य पर भी कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि हर दो में से एक पुरुष को हृदय संबंधी बीमारी हो सकती है। इस बात का अनुसंधानकर्ताओं ने यह खेद जनक खुलासा किया है कि 5 से 8 साल के छोटे बच्चो मे ह्रदय रोग देखने को मिल रहा है। इसका अनुवंशिकता से कोई लेना देना नही है। इसका सीधा संबंध आधुनिक पर्यावरण और आहार से है।

हालांकि मनुष्य जानते हैं कि हृदय रोग के होने मे आहार एक मुख्य कारक है। परंतु फिर भी धमनियों में रुकावट पैदा करने वाले भोजन की अनर्गल मात्रा बिना सोचे समझे हम लोग ग्रहण किए जा रहे हैं। एक बार तली हुई चीजें खाली तो उनसे मिलने वाला ऑक्सीकृत, तेल युक्त धातु कणों द्वारा मानव की रक्त वाहिनिओ सहित जो हृदय रोग का अहम कारण होता है। मानव के पूरे शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। कोलोस्ट्रोल की मात्रा कम होने से ही हृदय रोग का खतरा भी कम हो सकता है। वहीं तनाव की स्थिति मे शारीरिक हो या मानसिक हृदय को मुश्किल हालात मे काम करना पड़ता है।

रक्त चाप बढ जाता है और हृदय सामान्य से अधिक तेजी से धड़कता है। हरिद्वार के जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ डा.जगजीत सिंह से एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि अधिकांश लोग अपना रूटीन चेकअप नहीं कराते हैं। जिस कारण उन्हें हार्ट अटैक आने पर परेशानियां उठानी पड़ती हैं। डा.जगजीत सिंह की माने तो उन्होंने अभी तक लगभग 900 लोगों को जीवनदान दिया है। डा.सिंह हरिद्वार से पूर्व देहरादून में लोगों की सेवा करते रहे आज वह हरिद्वार के लोगों की सेवा में तत्पर रहते हुए लोगों की जान बचा रहे है।

एक आम आदमी हार्ट अटैक से कैसे बच सकता है। डा.जगजीत सिंह का कहना है कि सभी को बाजार के खाद्य तेल से बनी चीजें कम से कम इस्तेमाल करनी चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि आज का तनावपूर्ण जीवन जोखिम भरा है, हो सकता है। दिल का दौरा पड़ते समय मरीज को सीने मे दर्द, पसीना आना, जी मचलाना, उल्टी का जैसा आभास होना, गैस बनना, बाहों मे दर्द, सांस लेने मे तकलीफ होना या रुकना ,सामान्य से अधिक धड़कन, अचानक रक्तचाप बढ़ जाना, रक्त के थक्के जमने की प्रक्रिया चरम पर, बुरी तरह थक जाने जैसे कोई भी लक्षण हो तो तुरंत हृदय रोग विशेषज्ञ की सलाह से ईसीजी, ब्लड टेस्ट, टीएमटी, इकोग्राफी कराना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि लोगो मे आम धारणा है कि हृदय घात के समय गैस के लक्षण के ईलाज मे टाईम खराब करना उचित नही।

उसी समय हृदय रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। जबकि आम चिकित्सक तो गैस का ईलाज करता है पर हृदय रोग चिकित्सक दोनों पहलुओं से ईलाज करता हैं। हृदय रोग के बारे मे बताते हुए कहा कि कोरोनरी एजियोग्राफी एजियोप्लास्टी या बाई पास सर्जरी ईलाज है। एक महत्वपूर्ण जानकारी दी कि हरी सब्जियाँ जिसमें ओमेगा-3-युक्त तेल यह कोलोस्ट्रोल को कम करता है। फाइबर युक्त खाना, नट्स-सीड का सेवन उचित रहता है। वहीं फास्टफूड डेयरी उप्पाद, शराब कम मात्रा नमक व चीनी का इस्तेमाल नही करना चाहिए। सबसे जरूरी ब्लड प्रेशर व शुगर सामान्य होना चाहिए।

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