Patanjali पतंजलि ने इंडियन डेंटल एसाेसिएशन की उपस्थिति में लॉन्च किया दन्त कांति गंडूष ऑयल पुलिंग

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प्राचीन आयुर्वेदिक परंपरा और आधुनिक विज्ञान का अद्भुत संगम

पतंजलि केवल उपचार नहीं, अपितु संस्कृति, परंपरा और विज्ञान का सामंजस्य विश्व के सामने प्रस्तुत कर रहा है – योगऋषि स्वामी रामदेव

दन्त कांति गंडूष ऑयल पुलिंग केवल एक दैनिक क्रिया नहीं, यह एक चिकित्सा विज्ञान है, जो आज के समय की आवश्यकता है – आचार्य बालकृष्ण

दंत कांति गंडूष ऑयल पुलिंग एक अनुसंधान व साक्ष्य आधारित आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख के पायरिया एवं विभिन्न दंत रोगों में अत्यंत सहायक होगी – डॉ. विश्वजीत वालिया

हरिद्वार, 06 जुलाई : पतंजलि ने आज एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त करते हुए दन्त कांति गंडूष ऑयल पुलिंग नामक उत्पाद लांच किया। यह उत्पाद आयुर्वेद ग्रंथों में उल्लेखित गंडूष विधि पर आधारित है। आयुर्वेद में इसे ‘दिनचर्या’ का अभिन्न हिस्सा माना गया है।
दन्त कांति गंडूष ऑयल पुलिंग का भव्य अनावरण परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज और परम् श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज एवं इंडियन डेंटल एसोसिएशन, उत्तराखंड शाखा के अध्यक्ष श्री डॉ. राजीव बंसल, सचिव श्री डॉ. विश्वजीत वालिया, कोषाध्यक्ष श्री डॉ. वैभव पाहवा के कर-कमलों द्वारा किया गया। यह लॉन्च न केवल एक उत्पाद का लोकार्पण, अपितु आयुर्वेद की खोई हुई दैनिक परंपरा को पुनर्स्थापित करने का एक ऐतिहासिक प्रयास था।
इस अवसर पर योगऋषि स्वामी रामदेव जी ने कहा पतंजलि का यह प्रयास योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान है। पतंजलि केवल उपचार नहीं, अपितु संस्कृति, परंपरा और विज्ञान का सामंजस्य विश्व के सामने प्रस्तुत कर रहा है। उन्होंने कहा कि आजकल लोग यह भूल गए हैं कि अपने शरीर को Operate कैसे करना है और उसके साथ Cooperate कैसे करना है। पतंजलि योग और आयुर्वेद के माध्यम से इसको जनमानस को सिखाने का कार्य कर रहा है। यह दन्त उत्पाद पुष्टि करता है कि भारत का प्राचीन सनातन ज्ञान आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना सहस्त्रों वर्ष पूर्व था।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा की यह उत्पाद हमारे पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की तीन वर्षों के अथक पुरुषार्थ और समर्पण का परिणाम है। दन्त कांति गंडूष ऑयल पुलिंग केवल एक दैनिक क्रिया नहीं, यह एक चिकित्सा विज्ञान है, जो आज के समय की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि चरक संहिता व सुश्रुत संहिता जैसे आयुर्वेद के मूल ग्रंथों में गंडूष को मुँह के स्वास्थ्य की प्रमुख प्रक्रिया के रूप में वर्णित किया गया है। आज के युग में जब लोग दन्त समस्याओं से ग्रस्त हैं, दन्त कांति गंडूष ऑयल पुलिंग एक प्राकृतिक, सुरक्षित और प्रभावी समाधान प्रदान करता है। यह पतंजलि की दंत कांति श्रृंखला का नवीनतम और अभिनव उत्पाद है।
उन्होंने कहा कि इसमें तुम्बरू तेल है, जो दाँतों व मसूड़ों को मजबूत करता है। लौंग तेल है, जो दांत के दर्द में राहत प्रदान करता है। पुदीना तेल, मुँह की दुर्गंध का नाश करता है। एवं नीलगिरी तेल है, जोकि एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर है, और बैक्टीरिया की ग्रोथ को रोकता है, साथ ही तुलसी तेल जीवाणुनाशक होने के कारण दाँतों को सड़न और संक्रमण से बचाता है।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि Evidence-Based Dental Products की पूरी श्रृंखला को जनमानस के लिए उपलब्ध कराएगा और आयुर्वेद का स्वर्णिम गौरव वापिस लाएगा।
इस अवसर पर इंडियन डेंटल एसोसिएशन, उत्तराखंड शाखा के सचिव श्री डॉ. विश्वजीत वालिया ने कहा कि पूज्य स्वामी जी व श्रद्धेय आचार्य जी ने योग एवं आयुर्वेद के माध्यम से जनमानस को निरोगी बनाने का अभुतपूर्व कार्य किया है। उन्होंने कहा कि दंत कांति गंडूष ऑयल पुलिंग एक अनुसंधान व साक्ष्य आधारित आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख के पायरिया एवं विभिन्न दंत रोगों में अत्यंत सहायक होगी। उन्होंने पतंजलि रिसर्च फाउण्डेशन द्वारा किए जा रहे अनुसंधानों की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
इस भव्य अनावरण समारोह में इंडियन डेंटल एसोसिएशन, उत्तराखंड शाखा के अध्यक्ष श्री डॉ. राजीव बंसल, कोषाध्यक्ष श्री डॉ. वैभव पाहवा, पतंजलि हॉस्पिटल के दंत विभाग प्रमुख एवं इंडियन डेंटल एसोसिएशन, हरिद्वार शाखा के सचिव डॉ. कुलदीप सिंह, पतंजलि अनुसन्धान संस्थान के उपाध्यक्ष एवं प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, इंडियन डेंटल एसोसिएशन, हरिद्वार शाखा के कोषाध्यक्ष डॉ. गुरप्रीत ऑबराय तथा उत्तराखंड के कई प्रख्यात दन्त चिकित्सक उपस्थित रहे।
सभी उपस्थित दन्त चिकित्सकों ने इस उत्पाद को आधुनिक जीवन की ज़रूरतों के अनुरूप एक सटीक और समयसिद्ध समाधान बताया।
दन्त कांति गंडूष ऑयल पुलिंग न केवल मुँह के स्वास्थ्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह पतंजलि की उस यात्रा का अंग है जिसमें भारत के वैदिक ज्ञान को वैज्ञानिक तकनीक की कसौटी पर परखते हुए उसे वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई जा रही है।

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