श्रीकृष्ण की लीलाओं के पीछे छिपा है रहस्य-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

Haridwar News
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ब्यूरो
हरिद्वार, 8 नवम्बर। बसंत विहार कॉलोनी ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भावगत कथा के पंाचवे दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का श्रवण कराते हुए बताया कि जो लोग भगवान श्रीकृष्ण को माखन चोर या चीर चोर कहते हैं। उनको इस बात को भी समझना चाहिए कि भगवान ने माखन चोरी एवं चीर चोरी क्यो की। शास्त्री ने बताया कि बृजवासी मथुरा जाकर सारा दूध दही मक्खन बेच देते थे। बृजवासी बालकों को दूध दही मक्खन नहीं मिलने से वे बहुत ही ज्यादा दुबले-पतले और कमजोर थे।

जबकि मथुरा में कंस एवं कंस के साथी राक्षस दूध दही मक्खन खा कर पहलवान हो रहे थे। भगवान श्रीकृष्ण ने बृजवासी बालकों का बल बढ़ाने के लिए योजना बनाई कि गोपिकाओ के घरों में जाकर बृजवासी बालकों को दूध दही माखन खिलाया जाय। जिससे बालकों का बल बढ़ा और एक-एक करके अघासुर, बकासुर, कंस आदि अनेक राक्षसों का संहार किया।
भगवान श्रीकृष्ण का माखन चुराने का एक ही मकसद था राक्षसों का बल कम हो और बृजवासी बालकों का बल अधिक हो। शास्त्री ने बताया कि इसी प्रकार से भगवान की गोपियों के संग चीर हरण लीला के पीछे प्रयोजन यह था कि गोपिकाएं जमुना में नग्न स्नान किया करती थी। कंस के राक्षस गोपीकाओ को छुप-छुप कर देखते थे और पकड़ कर उनके साथ अभद्र व्यवहार किया करते थे। चीरहरण के माध्यम से कन्हैया ने सभी को शिक्षा दी स्नान करते समय, दान देते समय, सोते समय, चलते फिरते समय बिना वस्त्रों के नहीं रहना है चीरहरण के पीछे प्रभु की एक ही मनसा थी राक्षसों से गोपीकाओ की रक्षा की।

शास्त्री ने बताया कि कृष्ण ने जिस समय पर गोपियों के संग चीर हरण लीला की उस समय पर कृष्ण की अवस्था 6 वर्ष की थी। 6 वर्ष का बालक किसी के वस्त्र चुरा करके क्या करेगा। शास्त्री ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने जितनी भी लीलाएं की उन सब के पीछे कुछ न कुछ रहस्य छुपा हुआ है। मुख्य यजमान, डा.हर्षित गोयल, डा.स्वाति गोयल, संजीव गोयल, राजीव गोयल, संजय दर्गन अंशुल, प्रीति गोयल, वीना धवन, शांति दर्गन, पिंकी दर्गन, स्वेता, संगम, सुमित, पंडित गणेश कोठारी, रंजना, अंजू पांधी, मुकेश दर्गन, प्रमोद, लवी सचदेवा आदि ने भागवत पूजन किया।

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