समस्त वेदों एवं पुराणों का सार है श्रीमद्भागवत कथा-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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ब्यूरो


हरिद्वार, 1 फरवरी। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में पीपलेश्वर शिव मंदिर कृष्णा नगर कनखल में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन की कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि चार वेद तथा सत्रह पुराण लिखने के बाद वेदव्यास महाराज को चिंतित एवं दुखी देख नारद ने उनसे इसका कारण पूछा तो वेदव्यास महाराज ने कहा कि आगे कलयुग आ रहा है कलयुग में मनुष्य वेदों एवं पुराणों को पढ़ने के लिए समय नहीं दे पाएगा और अपना उद्धार नहीं कर पाएगा। मनुष्य संस्कार विहीन हो जाएगा। इसीलिए मुझे चिंता हो रही है। तब नारद ने वेदव्यास महाराज से समस्त वेदों एवं पुराणों का सार श्रीमद्भागवत महापुराण ग्रंथ लिखने को कहा।

नारद से प्रेरित होकर वेदव्यास महाराज ने श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना की। जिसमें 12 स्कंध, 335 अध्याय और 18 हजार श्लोक हैं और सर्वप्रथम अपने पुत्र सुखदेव मुनि को इसका ज्ञान दिया। जब राजा परीक्षित ने समिक मुनि का अपमान किया। तो समिक मुनि के पुत्र श्रृंगी ऋषि ने राजा परीक्षित को सात दिन में मृत्यु का श्राप दे दिया। राजा परीक्षित अपने पुत्र जन्मेजय को राजगद्दी देकर शुक्रताल में गंगा के तट पर आकर बैठ गए। वहीं पर सुखदेव मुनि ने सात दिनों तक राजा परीक्षित को श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कराया। तभी से अपना कल्याण और भक्ति, ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले श्रद्धालु जन सात दिनों तक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन करते हैं।

भागवत के प्रभाव से सबकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। शास्त्री ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा ही एकमात्र ऐसा साधन है जो इस कलिकाल में भक्ति एवं ज्ञान प्रदान करता है। इसलिए प्रत्येक घर परिवार में श्रीमद्भागवत ग्रंथ का होना और उसका स्वाध्याय करना अनिवार्य है। इस अवसर पर मुख्य जजमान पंडित प्रकाश जोशी, संतोष अग्रवाल, शांति दर्गन, वीना धवन, राधा अरोड़ा, पिंकी चावला, अमृत वर्षा, मंजू साईं, पूजा वालिया, मीना पाल, दर्शन दर्गन, चंचल अरोड़ा, रश्मि कटारिया, कौशल कटारिया, पंडित गणेश कोठारी, अनिल कटारिया आदि श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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