तनवीर
हरिद्वार, 23 जनवरी। पतंजलि विश्वविद्यालय के शोध सभागार में दो शोधार्थियों सुश्री नेहा एवं सुश्री कंचन की पूर्व मौखिकी परीक्षा विद्वान अधिकारियों व आचार्यों की उपस्थिति में संपन्न हुई। सुश्री नेहा ने ‘स्थूलकाय प्रतिभागियों में मानव देहमिति एवं मनोवैज्ञानिक मापनों पर परंपरागत वैलनेस चिकित्सा का प्रभाव’ विषय पर अपना शोध कार्य विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डा.अभिषेक भारद्वाज तथा सुश्री कंचन ने ‘युवा वयस्कों के संज्ञानात्मक कार्यों पर त्रटक के प्रभाव’ विषय पर योग विज्ञान की सहायक आचार्या डा.आरती यादव के निर्देशन में पूर्ण किया है। नेहा ने स्वामी रामदेव महाराज द्वारा बनाए गए पारंपरिक वैलनेस चिकित्सा का प्रभाव मोटे प्रतिभागियों में देखा जिसका सार्थक प्रभाव प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर शोधार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रोफेसर महावीर अग्रवाल ने कहा कि शोध हमेशा समाज उपयोगी होना चाहिए। यह समय जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान के साथ जय अनुसंधान का है। अतः शैक्षणिक जगत हमसे क्या अपेक्षा रखता है, इस बात को हमेशा ध्यान में रखकर शोध विषय व उसकी प्रक्रिया का निर्धारण होना चाहिए। अनवरत एक शोधार्थी को अपने ज्ञान कोष में वृद्धि कर अपना व्यक्तित्व परिष्कार कर समाज व राष्ट्र के विकास में योगदान अवश्य करना चाहिए।
मौखिकी परीक्षा का समन्वयन व संचालन शोध संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर मनोज कुमार पटैरिया ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर वी.के. कटियार, मयंक अग्रवाल, डा.रुद्र भंडारी, डा.वैशाली, डा.महिमा, गिरिजेश मिश्र, आचार्य गौतम सहित विभिन्न संकायों के सदस्य व शोधार्थी उपस्थित रहे।