तनवीर
हरिद्वार, 10 अक्तूबर। दशहरे से दीपावली तक होने वाली वार्षिक गंगा बंदी के चलते हरकी पैड़ी पर बहने वाली गंगा की धारा इन दिनों सूखी हुई है। जिससे हर समय देश भर से आने वाले स्नानार्थियों की भीड़ से गुलजार रहने वाली हरकी पैड़ी की रोनक गायब है। गंगा बंदी की वजह से हरकी पैड़ी पर पर्याप्त जल नहीं पहुंचने से जहां श्रद्धालुओं को स्नान में दिक्कत आ रही है, वहीं कुछ लोगों के लिए ये रोजी-रोटी का ज़रिया बना हुआ है।
हरकी पैड़ी पर बहती गंगा की धारा धर्मनगरी हरिद्वार की पहचान है। यहां गंगा के अस्तित्व से ही सभी छोटे-बड़े कारोबार जुड़े हुए हैं। हरकी पैड़ी पर गंगा बहती है, तो रोजाना मेले जैसा माहौल होता है। लेकिन इस वक्त हरकी पैड़ी की रोनक पूरी तरह गायब है। हरकी पैड़ी पर गंगा की धारा नहीं होने से जहां बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को निराशा होती है। वहीं कई लोगों के लिए रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो जाता है। ऐसे में हरकी पैड़ी के आसपास छोटा-मोटा काम करने वाले लोग गंगा में सिक्के बीन कर गुजारा करते हैं।
गंगा बंदी के दौरान हरकी पैड़ी के आसपास सिक्के बीनना यूं तो कई लोगों की मजबूरी होता है। लेकिन गंगा में चढ़ने वाले गुप्त दान से कई बार लोगों को कीमती आभूषण भी मिल जाते हैं। जिससे उनकी अच्छी खासी आमदनी हो जाती है। इसलिए कई लोग गंगा बंदी का साल भर इंतजार भी करते हैं और गंगा बंदी होते ही कीमती आभूषणों की खोज में लग जाते हैं। लोग मानते हैं कि मां गंगा प्रवाह मान रहकर भी रोजगार देती है और सूखने के दौरान भी लोगों का पेट भरती है।


