तनवीर
हरिद्वार, 4 अक्टूबर गंगा बंदी के बाद ज्वालापुर के जटवाड़ा पुल गंगा घाट पर गंदगी के अंबार ने श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों को परेशान कर दिया है। घाटों पर प्लास्टिक की पन्नियां, पुराने कपड़े, पूजा सामग्री और अन्य कचरे के ढेर देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही, घाट की सुरक्षा रेलिंग और लोहे की चेन टूटने की वजह से श्रद्धालुओं के लिए खतरा बना हुआ है।
गंगा बंदी का सबसे बेहतर समय
गंगा बंदी का उद्देश्य गंगा घाटों की सफाई और सौंदर्यकरण होता है, लेकिन इस बार घाटों पर गंदगी और दुर्व्यवस्था ने इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों ने नगर निगम प्रशासन और सिंचाई विभाग से अपील की है कि इस अवसर का लाभ उठाकर युद्ध स्तर पर सफाई अभियान चलाया जाए।
सुरक्षा की जरूरत
घाटों पर सुरक्षा रेलिंग और लोहे की चेन’ लगाने की मांग भी की गई है ताकि गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षित वातावरण मिल सके। क्षेत्र में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, और सुरक्षा उपायों की कमी से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
सामाजिक संगठनों और व्यापारियों की भागीदारी
गंगा स्वच्छता अभियान में सामाजिक संगठनों, व्यापारियों और गंगा से जुड़ी संस्थाओं को शामिल करने की अपील की गई है। गंगा के प्रति अटूट श्रद्धा रखने वाले भक्तों ने स्वच्छता और निर्मलता के लिए व्यापक अभियान की जरूरत पर जोर दिया है।
नगर निगम प्रशासन से अपेक्षाएं
नगर निगम को घाटों नियमित सफाई और कचरे के निस्तारण के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। गंगा घाटों को सौंदर्यकरण और सुरक्षित बनाने के लिए स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं ने जोरदार मांग की है।
गंगा की स्वच्छता और आस्था का मेल
गंगा घाटों की स्वच्छता न केवल धार्मिक आस्था का सम्मान है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य सुरक्षा का भी प्रतीक है। गंगा बंदी के समय को सही तरीके से उपयोग कर घाटों की सफाई और सौंदर्यकरण से श्रद्धालुओं के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण तैयार किया जा सकता है।