तनवीर
अस्त्र ही नागाओं के देवता हैं-श्रीमहंत सत्यम गिरी
हरिद्वार, 2 अक्तूबर। असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व दशहरे पर कनखल सन्यास मार्ग स्थित अटल अखाड़े में श्रीमहंत सत्यम गिरी महाराज के नेतृत्व में अखाड़े के संतों ने पूर्ण विधि विधान से सूर्य प्रकाश व भैरव प्रकाश भालों तथा अन्य शस्त्रों का पूजन किया।
श्रीमहंत सत्यम गिरी महाराज ने बताया कि दशहरे के दिन आदि जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित दशनामी संन्यास परंपरा के नागा संन्यासी अखाड़ों में शस्त्रों का पूजन करते हैं। ढाई हजार वर्ष से दशनामी संन्यासी इस परंपरा का पालन कर रहे हैं।
श्रीमहंत सत्यम गिरी ने कहा कि अस्त्र ही नागाओं के देवता हैं। अखाड़ों में प्राचीन काल से सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश नामक भालों को देवता के रूप में पूजा जाता है। श्रीमहंत सत्यम गिरी ने बताया कि प्राचीन काल से जारी अस्त्र पूजन की परंपरा का निर्वाह करते हुए दशहरे पर श्री शंभू पंचायती अखाड़ा में भैरव प्रकाश और सूर्य प्रकाश नामक भालों व अन्य अस्त्र शस्त्रों का पूजन किया गया।
उन्होंने बताया कि भैरव प्रकाश और सूर्य प्रकाश देवता रूपी भाले कुंभ मेले के अवसर पर अखाड़ों की पेशवाई के आगे चलते हैं और कुंभ में भैरव प्रकाश और सूर्य प्रकाश भालों को सबसे पहले शाही स्नान कराया जाता है। इसके बाद अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, जमात के श्रीमहन्त और अन्य नागा साधु स्नान करते हैं। इस अवसर पर दिगंबर ईश्वर गिरी, धनंजय गिरी, राकेश गिरी, ज्ञान गिरी, गौर गिरी, कैलाश गिरी सहित अखाड़े के तमाम संत शामिल रहे।