अमरीश
हरिद्वार, 3 मई। आर्यनगर ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा का श्रवण कराते हुए कथा व्यास श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार के संस्थापक पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने तीर्थों का महत्व बताते हुए कहा कि तीर्थ पर पर सभी पापों का शमन हो जाता है। लेकिन तीर्थ में किया गया पाप वज्र के समान हो जाता है। जिसके चलते कई जन्मो तक यातना भोगनी पड़ती है। इसलिए सभी को तीर्थ की मर्यादा का पालन करना चाहिए। जब भी तीर्थ पर गंगा स्नान के लिए जाएं या मठ मंदिर में जाएं तो मन से भगवान का चिंतन करें। वाणी से भगवान का गुणगान करें और अच्छे कर्म करें।
दान, पुण्य, यज्ञ, अनुष्ठान करने से ही तीर्थ यात्रा, गंगा स्नान, मठ मंदिर आदि यात्रा का फल मनुष्य को प्राप्त होता है। शास्त्री ने कि बताया शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि तीर्थ पर भूमि पर सोना चाहिए। तीर्थ के जल में स्नान करके यज्ञ करना चाहिए। यज्ञ के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर गौ दान, अन्न दान, वस्त्र दान आदि दान पुण्य श्रद्धा अनुसार करना चाहिए। इसके उपरांत तीर्थ के अधिष्ठाता देवता का दर्शन करना चाहिए। इस प्रकार तीर्थ यात्रा करने से जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
तृतीय दिवस की कथा में शास्त्री ने ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की रचना, मनु सतरूपा की उत्पत्ति, मनु की पुत्री देवहुती का विवाह कर्दम मुनि के साथ, कपिल देवहुती संवाद, शिवशक्ति चरित्र की कथा का सुंदर श्रवण कराया। इस अवसर पर मुख्य यजमान चेतन स्वरूप गुप्ता, योगेश कुमार गुप्ता, दुर्गेश गुप्ता, लक्ष्मी गुप्ता, देव गुप्ता, दिव्यांशु गुप्ता, राकेश गुप्ता, प्रीति गुप्ता, मुदित गुप्ता, गिरिराज गुप्ता, पद्मलता गुप्ता, मोहित गुप्ता, विमलेश गुप्ता, हेमलता रानी, रजनी गुप्ता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।