विकास झा
हरिद्वार, 7 जून। कथाव्यास ब्रह्मर्षि डा.रामविलास दास वेदांती महाराज ने कहा कि यदि राम की सही मायने में आराधना करनी है और राम राज्य स्थापित करना है तो जय श्रीराम के उच्चारण के पहले उनके आदर्शों और विचारों को आत्मसात किया जाना चाहिए। रामराज्य की संकल्पना को लेकर प्रेमनगर आश्रम में वशिष्ठ भवन धर्मार्थ सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित संगीतमयी श्रीमद् बाल्मीकिय श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथा व्यास डा.रामविलास दास वेदांती महाराज ने उपस्थित जनसमूह को भगवान राम के जन्मोत्सव का प्रसंग मधुर गायन के साथ सुनाया। कथा व्यास वेदांती महाराज ने बताया कि पुत्र प्राप्ति के लिए महाराज दशरथ के सभी प्रयास विफल हो गये।
अंत में वे अपने गुरु महर्षि वशिष्ठ के पास गये और गुरु के आदेश पर महर्षि श्रंगी से पुत्रेष्ठी यज्ञ संपन्न कराया। इससे उनके चार पुत्र हुए राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न। राम के रुप में स्वयं भगवान नारायण ने रावण का अंत करने के लिए रानी कौशल्या के गर्भ से धरती पर अवतार लिया। कथा में पीएसी कमांडेन्ट प्रदीप राय, सुनील सिंह, सीए आशुतोष पांडेय, बृजभूषण तिवारी, पुरुषोत्तम लाल अग्रवाल, मुरारी कुमार पांडे, अमित साही, वरूण कुमार सिंह, रंजीता झा, मनोज शुक्ला, रंजना शर्मा, सोनी राय, अपराजिता सिंह, नीलम राय, रश्मि झा, डा.विशाल गर्ग, मनोज मोहन यादव, डा.जगदीश लाल पाहवा, सहदेव शर्मा, ज्ञानेंद्र सिंह, अजय तिवारी, सूरज मिश्रा, बीएन राय, प्रमोद राय, चंद्रमणि राय, हरि नारायण त्रिपाठी, धनंजय सिंह, चंदन सिंह सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तगण उपस्थित रहे।