विकास झा
हरिद्वार, 8 जुलाई। श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय मे दीक्षारम्भ कार्यक्रम के अन्तर्गत उत्तराखण्ड परिचय विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अंतर्गत वेदान्त विभाग के प्राध्यापक डा.आलोक सेमवाल ने छात्रों को उत्तराखण्ड राज्य के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि 9 नवम्बर 2000 को उत्तराखण्ड को 11वें हिमालयी राज्य एवं देश के 27वें राज्य के रूप में मान्यता मिली। उत्तराखण्ड प्रदेश को पौराणिक ग्रन्थों में देवभूमि, हिमवत् प्रदेश, मानसखण्ड, केदार खण्ड, कूर्माञ्चल एवं स्वर्गभूमि की संज्ञा से सुशोभित किया गया है। प्राचीन काल से ही इस पावन भूमि के प्राकृतिक, आध्यात्मिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक परिवेश ने अनेक मानव जातियों, ऋषि मनीषियो,ं तीर्थयात्रियों, प्रकृतिप्रेमियों एवं पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। यहां की भौगोलिक संरचना एवं विविधता भी अपने आप में विशिष्ट स्थान रखती है।
वर्तमान उत्तराखण्ड प्रदेश के अन्तर्गत गढवाल एवं कुमाऊँ दो मण्डल हैं। इनमें से प्रथम मण्डल गढवाल है। इसके विषय में सभी विद्वानों का मत है कि इस क्षेत्र में बावन छोटे-छोटे गढ होने से इस क्षेत्र का नाम गढवाल पडा। समय समय पर इन गढों पर अनेक जातियों के राजाओं का शासन भी रहा। इसी प्रकार विष्णु भगवान् के द्वितीय अवतार कूर्म के नाम से द्वितीय क्षेत्र का नाम कुमाऊँ पडा।
इस अवसर पर व्याकरण विभागाध्यक्ष डा.रविन्द्र कुमार आर्य, आधुनिक विषय विभाग की सहायकाचार्य डा.मञ्जू पटेल, अंग्रेजी विषय की सहायकाचार्य डा.आशिमा श्रवण, वेदान्त विभाग के प्राध्यापक डा.आलोक सेमवाल, योग विषय के प्राध्यापक मनोज गिरि एवं अतुल मैखुरी, संस्कृत शिक्षक डा.प्रमेश बिजल्वाण, साहित्य विभाग के प्राध्यापक डा.अंकुर आर्य, व्याकरण विभाग के प्राध्यापक डा.शिवदेव आर्य आदि सहित नव प्रवेशी छात्र उपस्थित रहे।


