अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने की थी मंदिर की स्थापना
हरिद्वार, 5 अक्तूबर। शारदीय नवरात्र धूमधाम से मनाए जा रहे हैं। श्रद्धालु घरों और मंदिरों में नित्य मां भगवती का पूजन आराधना कर रहे है। धर्मनगरी के सभी देवी मंदिरों में विशेष अनुष्ठान किए जा रहे हैं। कनखल स्थित बैरागी कैंप में श्मशान भूमि पर बने श्मशान वासिनी कालिका माता मंदिर में पहले नवरात्र से यज्ञ शुरू किया गया है। यज्ञ 9 दिन चलेगा और नवमी के दिन मंदिर परिसर में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
धर्मनगरी के अन्य देवी मंदिरों से सब परिचित हैं। लेकिन कनखल में श्मशान भूमि में स्थित मां काली के मंदिर की महिमा के बारे में लोग कम ही जानते हैं। यह मंदिर कई अद्भुत संयोगों और आध्यात्मिक शक्तियों का केंद्र है। अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज द्वारा संचालित श्मशान वासिनी काली मां का मंदिर शहर की भीड़ से दूर कनखल में गंगा नदी के पूर्वी तट पर स्थित है और इस पार पश्चिमी दिशा में गंगा तट पर स्थित राजघाट, सतीघाट, शमशान घाट नजर आते हैं।
श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने बताया कि मंदिर के निर्माण को लेकर एक अद्भुत संयोग है। जब यह जमीन ली गई और इसमें खुदाई का काम किया गया, तो खुदाई के समय जो पत्थर और कुछ अवशेष ऐसे मिले जो इंगित करते थे कि यहां पहले भी पूजा स्थल रहा होगा। इसी प्रेरणा से यहां पर काली मां के भव्य मंदिर का निर्माण सन् 2000 में किया गया। मंदिर के पुजारी संजय पुरी ने बताया कि सृजन और विनाश का कालचक्र सृष्टि में अनवरत चल रहा है। जिस तरह भगवान शिव को श्मशान पसंद है। वह वहीं ध्यान करते हैं, श्मशान की भस्म लगाकर रखते हैं। इस तरह यहां पर काली माता ने भी अपना स्थान श्मशान भूमि को ही चुना है। मंदिर परिसर में काल भैरव, हनुमान जी की प्रतिमा और शिवलिंग भी स्थापित है। देश विदेश से बड़ी संख्या में भक्त भी यहां आकर मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर प्रसाद चढ़ाकर मां का आभार व्यक्त करते हैं।
भक्त देवेंद्र कुमार कहते हैं कि उन्हें सभी समस्याओं का हल मां काली के मंदिर में आकर मिलता है। मंदिर में दर्शन कर मन को अत्यंत शांति मिलती है। इसलिए वे रोज मंदिर आते हैं।
पंडित विशाल शास्त्री ने बताया शत् चंडी यज्ञ नवरात्र में ही होता है। यज्ञ के प्रभाव से दरिद्रता, क्रोध, शत्रु और घर में आ रही सभी विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं। उन्होंने बताया कि शमशान वासिनी कालिका मंदिर में हुए सहस्त्र चंडी यज्ञ में भाग लेने के लिए मेक्सिको से भी एक भक्त आए थे। देवी भगवती की कृपा से ही व्यक्ति यज्ञ में भाग ले पाता है।


