कर्म की गति ही कर्मफल तय करती है-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

Dharm
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ब्यूरो


हरिद्वार, 10 अप्रैल। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार के तत्वाधान में दुर्गा मंदिर ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने कर्म की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि कर्म की तीन श्रेणियां हैं संचित, क्रियमाण और प्रारब्ध। कर्म की गति को जानने से पहले कर्म की उत्पत्ति और उसके मूल स्वरूप को समझना जरूरी है। सामान्यतः प्रत्येक कर्म की उत्पत्ति मन, वचन और कार्य से मानी जाती है। मन में एक विचार का उत्पन्न होना किसी कर्म की प्रारंभिक अवस्था है। उस विचार की शब्दों द्वारा अभिव्यक्ति कर्म की द्वितीय अवस्था तथा उसे कार्य रूप में रूपांतरित करना कर्म की पूर्णावस्था है। कर्म की गति ही कर्मफल तय करती है।

अकसर लोग कर्म का सार्थक फल नहीं मिलने की शिकायत करते हैं। कर्म का मतलब केवल कोई कार्य ही नहीं होता है बल्कि मन में किसी विचार को उत्पन्न करना या होने देना भी कर्म है और वाणी से भला-बुरा कहना भी कर्म है। अतः ईश्वरीय न्याय पर अंगुली उठाने से पहले यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि हमने मन, वचन और कर्म के स्तर पर क्या-क्या किया है। एक विवेकशील व्यक्ति जैसे ही ऐसा करेगा उसे अपने कर्म की गति का भान होने में देर नहीं लगेगी। कर्म की शुद्धता के लिए उसके बारे में विचार के स्तर से ही सावधान रहने की जरूरत है। यदि विचार के स्तर पर चूक हो जाए तो वाणी के स्तर पर कर्म गति को नियंत्रित करने की कोशिश हो सकती है।

कर्म गति को अपनी इच्छा के अनुरूप बनाने का अंतिम अवसर कार्य के स्तर पर होता है। सभी के लिए समझने योग्य बात यह है कि हमारे ये नित कर्म ही हमारे भाग्य का निर्धारण करते हैं। भाग्य कोई हवा से अवतरित कराकर हमारे ऊपर नहीं थोप दिया जाता है। इसे हम ही अपने कर्मों द्वारा बनाते-बिगाड़ते रहते हैं। भाग्य निर्धारण में पूर्वजन्म के कर्मों का भी अपना योगदान होता है। यह जरूर याद रखना चाहिए कि यह जन्म ही अगले जन्म के लिए पूर्वजन्म का काम करेगा। इसलिए इस जन्म के कर्म न केवल इस जन्म में हमें अच्छे फल प्रदान करेंगे बल्कि अगले जन्म में पूर्वजन्मों के कर्मों का काम भी करेंगे। इसलिए इस जन्म एवं अगले जन्म को सफल बनाने के लिए सदा सर्वदा अच्छे कर्म करते रहना चाहिए।

कथा में मुख्य यजमान नीलम सेठी, दीपक सेठी, मनश्वनी सेठी, माधव शेट्टी, रितिका मल्होत्रा, मुकेश मल्होत्रा, मधु मल्होत्रा, राजेश मल्होत्रा, सपना मल्होत्रा, अनिल मल्होत्रा, हर्षा खत्री, रितिका खत्री, कमल खत्री, सीमा मिगलानी, महेंद्र मिगलानी, गुंजन जेसिंग, सुनील जेसिंग, वंदना जेसिंग, राम जेसिंग, कोमल रावत, भावना अरोड़ा, सचिन अरोड़ा, विनीता शर्मा, संजय शर्मा, रिम्पी शर्मा, गगन शर्मा, नरेश कुमार शर्मा, योगराज, लक्ष्मी तनेजा, कैशराज तनेजा, फूल्लैश शर्मा, चंद्र प्रकाश शर्मा, वीना धवन, शांति दर्गन, पंडित अभिषेक मिश्रा, तन्नु शर्मा, ऊषा पाहवा, सोनम मिश्रा, ऊषा वर्मा, पंडित दया कृष्ण शास्त्री ने भागवत पूजन किया।

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