ब्यूरो
हरिद्वार, 6 जून। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट द्वारा शिवालिक नगर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पंांचवे दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का श्रवण कराते हुए बताया भगवान श्रीकृष्ण को माखन चोर या चीर चोर कहना उचित नहीं है। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के पीछे कोई ना कोई उद्देश्य विधमान है। माखन चोरी के पीछे श्रीकृष्ण के उद्देश्य के विषय में बताते हुए शास्त्री ने कहा कि बृजवासी मथुरा जाकर दूध दही मक्खन बेच देते थे। जिससे बृजवासी बालकों को दूध दही मक्खन नहीं मिल पाता था और वे बहुत ही ज्यादा दुबले-पतले तथा कमजोर हो रहे थे। जबकि मथुरा में कंस एवं कंस के साथी राक्षस दूध दही मक्खन खाकर पहलवान हो रहे थे। बृजवासी बालकों का बल बढ़ाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने योजना बनाई कि गोपिकाओ के घर में जा जाकर बृजवासी बालकों को दूध दही माखन खिलाया जाय। जिससे उनका बाल बढ़ेे और राक्षसों का बल घटे और एक-एक करके उन्होंने अघासुर, बकासुर, केसी, कंस जैसे अनेक राक्षसों का संहार किया। शास्त्री ने बताया कि इसी प्रकार से भगवान ने गोपियों के संग चीर हरण लीला की। इसके पीछे उनका प्रयोजन यह था कि जब गोपिकाएं जमुना में स्नान करती थी तो कंस के राक्षस उन्हें छुप-छुप कर देखते थे और पकड़ कर उनके साथ अभद्र व्यवहार करते थे। चीरहरण के पीछे प्रभु की एक ही मनसा थी राक्षसों से गोपीकाआंे की रक्षा। शास्त्री जी ने बताया कि कृष्ण ने जिस समय पर गोपियों के संग चीरहरण लीला की उस समय कृष्ण की अवस्था 6 वर्ष की थी। 6 वर्ष का बालक किसी के वस्त्र चुरा कर क्या करेगा। मुख्य यजमान किरण गुप्ता, अशोक गुप्ता, डा.अंशु गुप्ता, डा.राजकुमार गुप्ता, मिशिका गुप्ता, मिहिका गुप्ता, पंडित हेमंत कला, पंडित दया कृष्ण शास्त्री, पंडित संजय शास्त्री, अतुल कपूर, जय ओम गुप्ता आदि ने भागवत पूजन किया।