अमरीश
हरिद्वार, 26 नवंबर। संविधान दिवस के अवसर पर एसएमजेएन पीजी कॉलेज में आयोजित गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी को संबोधित करते हुए कालेज के प्राचार्य डा.सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि हरिद्वार में भेल की स्थापना में विशेष भूमिका निभाने वाले प्रथम लोकसभा के सांसद व संविधान सभा के सदस्य रहे पंडित हीरा वल्लभ त्रिपाठी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। संविधान का प्रकाशन देहरादून में हुआ था एवं भारतीय भारतीय संविधान हाथ से लिखकर हिंदी, अंग्रेजी भाषा में कैलिग्राफ किया गया था।
इसे टाईप या प्रिंटिंग नहीं किया गया। डॉ बत्रा ने कहा कि संविधान एक किताब नहीं बल्कि यह राष्ट्र का जीवन दर्शन है। उन्होंने मौलिक अधिकारों पर चर्चा करते हुए कहा की मौलिक अधिकार निर्बाध नहीं है तथा उन पर राज्य युक्तियुक्त नियंत्रण एवं प्रतिबंध लगा सकता है। भारतीय संविधान विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान है। इसमें राज्य की शक्ति एवं नागरिकों के अधिकारों के मध्य एक अनोखा संतुलन स्थापित किया गया है। मौलिक अधिकार और संविधान वह ढांचा है जो मनुष्य को विकास और सुरक्षा प्रदान करता है। विधानसभा अपनी मेजॉरिटी के समय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन ना कर पाए इसलिए मौलिक अधिकारों की सुरक्षा का जिम्मा न्यायपालिका को दिया गया है। उन्होंने सामाजिक समानता के अनुच्छेद 15 के तहत बताया कि सार्वजनिक स्थल जैसे पार्क सिनेमा आदि सभी धर्म एवं संप्रदाय के नागरिकों के लिए समान रूप से खुले हुए हैं।
जाति धर्म भाषा के आधार पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता। देश का सर्वोच्च कानून संविधान है और इसकी रक्षा की जिम्मेदारी सर्वोच्च न्यायालय की है। विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रैस की आजादी पर डा.बत्रा ने कहा कि संविधान में प्रत्येक नागरिक को अपने विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं प्रैस को अपने विचारों को अभिव्यक्त करने की आजादी है। मुख्य छात्र कल्याण अधिष्ठाता डा.संजय कुमार माहेश्वरी ने कहा कि संविधान में आर्टिकल 21 मे गोपनीयता के अधिकार को जोड़ कर व्यक्तियों के अधिकारों को ओर अधिक मजबूत बनाया गया है।
मुख्य अनुशासन अधिकारी डा.सरस्वती पाठक ने कहा कि संविधान व्यक्तियों को खुली हवा में निर्भिकता के साथ सांस लेने को सुनिश्चित करता है। राजनीति विज्ञान के अध्यक्ष विनय थपलियाल ने कहा कि भारतीय संविधान संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता व पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है। भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह संविधान की मान्यताओं को सम्मान प्रदान करते हुए इसके ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखें।
डा.विनिता चैहान ने वर्तमान में भारतीय नागरिकों को सार्वजनिक सम्पत्ति को नुक्सान न पहुंचाने एवं संविधान की मूल भावना का सम्मान करने का आह्वान किया। इस अवसर पर सुषमा नयाल, डा.नलिनी जैन, विनय थपलियाल, डा.जेसी आर्य, डा.मनमोहन गुप्ता, दिव्यांश शर्मा, अंकित अग्रवाल, वैभव बत्रा, डा.पंकज यादव, डा.पद्मावती तनेजा, नेहा गुप्ता, विनीत सक्सेना, डा.शिव कुमार चैहान, रिंकल गोयल, रिचा मिनोचा, डा.कुसुम नेगी, सुगंधा वर्मा, अश्वनी जगता, एमसी पांडे आदि उपस्थित रहे।