तनवीर
हरिद्वार, 21 फरवरी। देवसंस्कृति विवि के प्रतिकुलपति डा.चिन्मय पंड्या अपने यूरोप प्रवास के दौरान लातविया पहुँचे। उन्होंने लातविया की राजधानी रीगा में नवगठित गायत्री परिवार के सहयोग से गायत्री यज्ञ आयोजन का संचालन किया। यह आयोजन बाल्टिक देशों और भारत के बीच गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ज्ञात हो कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय में एशिया का पहला और विश्व का सबसे बड़ा बाल्टिक संस्कृति एवं अध्ययन केंद्र स्थापित किया गया है, जहां लातवियाई परिजन लगातार आते हैं।
डा. चिन्मय पंड्या के मार्गदर्शन में गायत्री परिवार की संस्थापिका भगवती देवी शर्मा के जन्मशताब्दी वर्ष २०२६ में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की शृंखला के तहत पहली बार लातविया के गायत्री परिवारजनों ने ज्योति कलश यात्रा यज्ञ किया। इसमें सौ से अधिक लातवियाई परिजनों ने भाग लिया और अपने घरों में ज्योति कलश व देव स्थापना करवाया और नियमित गायत्री उपासना, साधना व आराधना का संकल्प लिया। डा.चिन्मय पंडया ने बताया कि ज्योति कलश अब लिथुआनिया की यात्रा करेगा। जहां गायत्री यज्ञ, देव स्थापना व अन्य कार्यक्रम सम्पन्न होंगे।


