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पितरों को मोक्ष प्रदान करती है श्रीमद् भागवत कथा
हरिद्वार, 4 नवम्बर। सप्त सरोवर मार्ग स्थित माता सच्चिदानंद निर्मल कुटिया में आश्रम की परमाध्यक्षा विमला निर्मल महाराज के सानिध्य में ब्रह्मलीन स्वामी सर्वेश्वर सिंह शास्त्री निर्मल महाराज की स्मृति में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। श्रद्धालु भक्तों को प्रथम दिवस की कथा श्रवण कराते हुए कथाव्यास पंडित आनंद पांडे शास्त्री ने श्रीमद् भागवत कथा के महत्व से अवगत कराया। कथाव्यास पंडित आनंद पांडे शास्त्री ने कहा कि श्रीहरि को समर्पित कार्तिक मास हिंदू धर्म का पावन और पवित्र माह है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में गंगा तट पर श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन तथा श्रवण परम कल्याणकारी है। जिसमें तुलसी पूजा, गंगा स्नान, दान, गौ पूजा और श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने का विशेष महत्व है। उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि कथा के प्रभाव से अधोगति में पड़े पितरों को भी मोक्ष प्राप्त होता है। श्रोताओं को धुंधकारी की कथा सुनाते हुए कहा कि कुसंगति और बुरे कर्मो के चलते मृत्यु के बाद धुध्ंाकारी को प्रेत योनि प्राप्त हुई। धुधंकारी के भाई गोकर्ण को जब इसका ज्ञान हुआ तो उसने श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया।
कथा के प्रभाव से धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्ति मिली और श्री हरि के चरणों में स्थान प्राप्त हुआ। भक्तों को आशीर्वाद देते हुए आश्रम की परमाध्यक्ष बहन विमला निर्मल महाराज ने कहा कि गुरुदेव द्वारा कार्तिक मास में धार्मिक अनुष्ठान करने की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया है। आश्रक के प्रबंधक विकास महाजन एवं कथा यजमान ने श्रद्धालु भक्तों का स्वागत किया।


