तनवीर
हरिद्वार, 14 अगस्त। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के सभागार में बुधवार को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में भारत के विभाजन के दौरान पीड़ा झेलने वालों को नमन करते हुए उनके बलिदान को याद किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री ने भारत विभाजन विभीषिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि 14 अगस्त को देश का विभाजन हुआ था। जिसमें एक बड़ा क्षेत्र जहां हिंदुओं की आबादी अधिक थी, उसे भी विभाजित कर दिया गया।
विभाजन के दौरान लाखों भारतीयों का नरसंहार किया गया। कहा कि इतिहास की पुस्तकों में भी इस विभाजन का उल्लेख मिलता है। यदि आप गूगल पर सर्च करेंगे या यूट्यूब पर देखेंगे, तो आज भी इस विभाजन के भयावह दृश्य दिखाई देंगे। कोई भी जाति तभी जीवित रहती है, जब वह अपने इतिहास को याद रखती है। हमारी संतति से यह बात छुपाई गई कि हमें आजादी सहज भाव से प्राप्त नहीं हुई। लेकिन भारत की आजादी के लिए लाखों-करोड़ों लोगों ने बलिदान दिया। कुलपति के कहा कि यह विभाजन का कड़वा सच है कि भरत के बंटवारे के दौरान 24 घंटे के अंदर 18 लाख लोगों का कत्ल का दिया गया था। जिसे आने वाली पीढ़ियों को भी समझना चाहिए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विवि के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने कहा कि देश के लिए अपना बलिदान देने वाले अमर शहीदों को सदैव याद किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन डा. प्रकाश पंत ने किया। इस अवसर पर प्रो.दिनेश चमोला, डा.अरविंद्र नारायण मिश्र, डा.अजय परमार, डा.मनोज किशोर पंत, डा.विनय सेठी, डा.श्वेता अवस्थी, डा.बिंदूमति द्विवेद्वी, डा.दामोदर परगांई, डीआर दिनेश कुमार, सुभाष पोखरियाल सहित विवि के शिक्षक, कर्मचारी और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।


