पतंजलि ने किया अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त पंतजलि इमरजेंसी एण्ड क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल का अनौपचारिक प्रारंभ

Haridwar News
Spread the love

तनवीर


हरिद्वार, 24 अक्तूबर। पतंजलि योगपीठ में पंतजलि इमरजेंसी एण्ड क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल का अनौपचारिक शुभारंभ स्वामी रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण की उपस्थिति मंे किया गया। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि की यह व्यवस्था चिकित्सकीय लोकतांत्रिक व्यवस्था है जो रोगियों के लिए न्याय प्रधान है। उन्होंने घोषणा की कि हरिद्वार में तो हॉस्पिटल का मात्र बीजारोपण हुआ है। दिल्ली, एन.सी.आर. में एम्स, अपोलो या मेदांता से भी बड़ा वर्जन बहुत जल्द सामने आएगा। विशेष बात यह रहेगी कि यह कॉरपोरेट हॉस्पिटल नहीं कॉपरेट हास्पिटल होगा। जिसमें व्यापार नहीं रोगियों की सेवा की जाएगी। हमारा उद्देश्य एकीकृत चिकित्सा पद्धति के तहत रोगियों को आरोग्य प्रदान करना है।
स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि में बहुत समय से विचार किया जा रहा था कि जहां पर नितांत आवश्यक हो, वहंा मॉडर्न मेडिकल साइंस का आश्रय लिया जाए। लेकिन केवल इमरजेंसी के तौर पर ही हम इस विधा का प्रयोग करेंगे। हमारे पास इस नई दृष्टि से समन्वित व आप्लावित समर्पित चिकित्सकों की त्रिवेणी का संगम है। एक तरफ हमारी पारंपरिक विद्या में निष्णात आयुर्वेद के वैद्य, दूसरी तरफ मॉडर्न मेडिकल साइंस में पारंगत डॉक्टर्स और तीसरी ओर प्राकृतिक चिकित्सा। साथ में अत्याधुनिक मशीनों से जाँच की व्यवस्था हेतु पैरामेडिकल स्टॉफ होगा।
स्वामी रामदेव ने बताया कि पतंजलि के अस्पताल मं कैंसर की सर्जरी को छोड़कर बाकि सभी सर्जरी की व्यवस्था होगी। भविष्य में कैंसर की सर्जरी सुलभ कराने की भी हमारी योजना है। अत्यंत जटिल मानी जाने वाली ब्रेन, हार्ट व स्पाइन की सर्जरी की व्यवस्था भी हॉस्पिटल में उपलब्ध है। साथ ही रोगियों को एम.आर.आई., सी.टी. स्कैन, एक्स-रे, अल्ट्रासाउण्ड, पैथोलॉजिकल जाँच आदि की सुविधा भी यहाँ मिल सकेगी। पूरे विश्व के टॉप पैरामीटर्स का यहाँ अनुसरण किया गया है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों की सर्जरी तथा क्रिटिकल केयर की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि पतंजलि में बहुत आवश्यक होने पर ही सर्जरी की जाएगी और रोगी हॉस्पिटलों के मनमाने पैकेज के बोझ से भी बच सकेंगे। स्वामी रामदेव ने कहा कि इस सम्पूर्ण व्यवस्था में आचार्य बालकृष्ण का बहुत बड़ा पुरुषार्थ निहित है।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि चिकित्सा के लिए मॉडर्न मेडिकल साइंस की मात्र 20 प्रतिशत ही आवश्यकता है। इसमें 80 प्रतिशत परंपरागत चिकित्सा को जोड़ दिया जाए तो चार से पांच वर्षों में ही पूरी दुनिया में चिकित्सा व्यवस्था को व्यवस्थित करने में हम सफल हो जाएंगे। क्रिटिकल केयर के लिए जहां एक ओर मॉडर्न मेडिकल साइंस को हमें स्वीकारना होगा तो वहीं असाध्य समझे जाने वाले रोगों के लिए योग-आयुर्वेद को भी हमें समाधान के रूप में स्वीकार करना होगा। चरक व सुश्रुत संहिता में उल्लिखित है कि चिकित्सक को जो संकल्प दिलाया जाता है, वह किसी पैथी विशेष के लिए नहीं अपितु रोगी को निरोग करने के लिए दिलाया जाता है। आज हमारा चिकित्सकीय ज्ञान पैथियों में बंट चुका है, परंतु लक्ष्य तो पैथियों में बंटना नहीं था। लक्ष्य तो रोगी को निरामय करना था। चिकित्सक का उद्घोष था कि न तो हमें राज्य चाहिए, न स्वर्ग चाहिए, हमें तो बस वह सामर्थ्य चाहिए जो दुखी, रोगी व पीड़ित के रोग व पीड़ा का शमन कर सके। आज उस भाव के कितने चिकित्सक हैं, यह विचारनीय प्रश्न है।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि बड़े-बड़े अस्पतालों में चिकित्सकों को टार्गेट दिए जाते हैं, हमने पहले ही दिन चिकित्सकों से कह दिया कि यहां आपके लिए कोई टार्गेट नहीं है, केवल एक टार्गेट है- रोगियों को आरोग्य प्रदान करना। हमें एक मिशन के रूप में इस प्रकल्प को सेवा का आदर्श मॉडल बनाना है और पूरे विश्व में इंटीग्रेटेड मेडिकल सिस्टम का एक उदाहरण स्थापित करना है। इसके लिए बहुत सी चुनौतियां हैं, जिन पर हमें विजय प्राप्त करना है। कुछ लोग कहते हैं कि इस सबके लिए पतंजलि ही क्यों। यह इसलिए कि हमारे पास हॉस्पिटल के साथ-साथ विश्वस्तरीय अनुसंधान केंद्र है। हमने योग, आयुर्वेद को एविडेंस बेस्ड मेडिसिन के रूप में स्थापित किया है। आज हमारे पास रोगियों का विशाल क्लिनिकल डाटा, एविडेंस, बॉयो सेफ्टी लेवल-2 का सर्टिफिकेशन, एनिमल परीक्षण के लिए इन-विवो तथा अन्य प्रयोगशाला जांच के लिए इन-विट्रो अनुंसधान की व्यवस्था है। न्यूक्लियर मेडिसिन तथा पर्सनाइज्ड मेडिसिन पर भी पतंजलि अनुसंधान कर रहा है। यह सामर्थ्य पतंजलि के अतिरिक्त किसी अन्य हॉस्पिटल के पास नहीं है। आचार्य ने कहा कि हमारा वर्षों का स्वप्न साकार होता दिखाई पड़ रहा है। आने वाले दिनों में इंटीग्रेटेड मेडिसिन सिस्टम का प्रतीक स्वामी रामदेव और पतंजलि होंगे। इस सम्पूर्ण व्यवस्था में ज्ञानवृद्ध, आयुर्वृद्ध, अनुभववृद्ध और संस्कृति व परंपराओं में जीने वाले डा.सुनील अहूजा का भी विशेष योगदान है।
कार्यक्रम में डा.सुनील अहूजा, डा.एन.पी. सिंह, डा.साध्वी देवप्रिया, अंशुल शर्मा, पारूल शर्मा, डा.संभ्रांत, ब्रिगेडियर टी.सी. मल्होत्रा, डा.अनुराग वार्ष्णेय, इमरजेंसी विभाग से डा.अनिल दास, डा.नितिन कुमार चंचल; आई.सी.यू. विभाग से डा.श्वेता जायसवाल, डा.अंकित कुमार बोधखे; न्यूरो विभाग से डा.गौरव सिंह अभय; ऑर्थाेपैडिक विभाग से डा.मनोज त्यागी; एनेस्थीसिया विभाग से डा.संजय महेश्वरी; कार्डियोलॉजी विभाग से डा.कृष्णा सी.के.; जनरल सर्जरी विभाग से डा.कशीश सचदेवा; रेडियोलॉजी विभाग से डा.केशवचंद गुप्ता व डा.शोभित चंद्रा; दंत चिकित्सा विभाग से डा.कुलदीप सिंह तथा डा.गुरप्रीत ऑबराय तथा पैथोलॉजी विभाग से डा.एस. रेणुका रानी सहित पतंजलि से सम्बद्ध सभी इकाइयों के प्रमुख, विभाग प्रमुख, प्राचार्य तथा संन्यासी भाई व साध्वी उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *