तनवीर
हरिद्वार, 31 जुलाई। पतंजलि विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय तृतीय राष्ट्रीय स्वर्णशलाका प्रतियोगिता का शुभारंभ योगगुरू स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण व अतिथीयों ने दीप प्रज्वलित कर किया। दो दिवसीय शास्त्रार्थ प्रतियोगिता में दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, असम, झारखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक समेत देश के कई राज्यां से आए 141 प्रतिभागियों सहित प्रतिष्ठित संस्कृत विद्वानों एवं शास्त्रज्ञों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने अष्टाध्यायी, श्रीमद्भगवद्गीता, नवोपनिषद, चाणक्यनीति, हठयोगप्रदीपिका, अष्टावक्रगीता, अष्टांगहृदयम्, बृहदारण्यक-छान्दोग्योपनिषद, योगदर्शन, ईश-केनोपनिषद जैसे शास्त्रों पर गहन वाक्यार्थ और शास्त्रार्थ प्रस्तुत किए।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगऋषि स्वामी रामदेव ने कहा कि शास्त्र और सनातन परंपरा मनुष्य के नेतृत्व विकास और जीवन की दिशा निर्धारण में सहायक हैं। प्रतियोगिता को आध्यात्मिक पुनर्चिंतन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय, आचार्यकुलम और भारतीय शिक्षा बोर्ड मिलकर यह सिद्ध कर रहे हैं कि शास्त्र केवल गुरुकुलों की परंपरा तक सीमित नहीं है, यह समाज के लिए मार्गदर्शक शक्ति है।
पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि शास्त्र श्रवण से पुण्य की प्राप्ति होती है और आत्मिक बल का संचार होता है। उन्होंने विद्यार्थियों से सनातन परंपरा के अनुकरण का आग्रह करते हुए इसे मानविक विकास और समाज की समृद्धि का पथ बताया। उन्होंने कहा कि तृतीय राष्ट्रीय स्वर्णशलाका प्रतियोगिता ने ज्ञान, संवाद और आध्यात्मिक चेतना की एक नई धारा प्रवाहित की, जो भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।
प्रतियोगिता में प्रो.दिनेश चंद्र शास्त्री, आचार्य भवेंद्र, प्रो.ब्रजभूषण ओझा, प्रो.भोला झा, प्रो. मनोहरलाल आर्य, प्रो.विजयपाल प्रचेता, प्रो.बलवीर आचार्य, प्रो.मुरली कृष्णा, प्रो.शिवानी, प्रो. मधुकेश्वर भट्ट, डा.एनपी सिंह, डा.साध्वी देवप्रिया प्रो.मयंक कुमार अग्रवाल, डा.ऋतंभरा, बहन आशु, बहन पारुल, ब्रिगेडियर टीएस मल्होत्रा, प्रो.केएनएस यादव, डा.अनुराग वार्ष्णेय, डा.वेदप्रिया आर्या, डा.अनिल कुमार, डा.जयदीप आर्या, डा.राकेश मित्तल, डा.स्वाति, साध्वी देवमयी, स्वामी परमार्थदेव, स्वामी आर्षदेव, आदि और छात्र-छात्राएं शामिल हुए।
शुक्रवार को प्रतियोगिता के समापन समारोह में शास्त्रार्थ में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित कर पारितोषिक प्रदान किए जाएंगे।


