गुरू से प्राप्त ज्ञान से नष्ट होता है अज्ञान रूपी अंधकार-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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ब्यूरो


हरिद्वार, 10 नवम्बर। बसंत विहार कॉलोनी ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि बिना गुरु के गति नहीं होती है और बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिल सकता। इसलिए मनुष्य को गुरु की शरण में जाना चाहिए। शास्त्री ने बताया कि मनुष्य के प्रथम गुरु माता पिता बताए गए हैं। माता-पिता से ही बच्चों को संस्कार मिलते हैं। माता-पिता के बाद शिक्षा गुरु। जिनसे अच्छी-अच्छी शिक्षाएं मिलती हैं और फिर आता है दीक्षा गुरु जिनसे मंत्र प्राप्त कर मंत्र जाप द्वारा हम अपना आध्यात्म कल्याण कर सकते हैं।

सद्गुरु ही हमें असत्य से सत्य की ओर अंधकार से प्रकाश की ओर एवं मृत्यु से अमृत की ओर लेकर जाते हैं। गुरु के द्वारा दिए गए ज्ञान से हमारे भीतर का अज्ञान रूपी अंधकार नष्ट हो जाता है। शास्त्री ने द्वारिकाधीश के सोलह हजार एक सौ आठ विवाह का वर्णन, सुदामा चरित्र एवं दत्तात्रेय के 24 गुरुओं की कथा का भी भक्तों को श्रवण कराया। कथा के मुख्य यजमान वीना धवन, शांति दर्गन, पिंकी दर्गन, स्वेता, संगम, सुमित, पंडित गणेश कोठारी, रंजना, अंजू पांधी, मुकेश दर्गन, प्रमोद, लवी सचदेवा, डा.हर्षित गोयल, डा.स्वाति गोयल, संजीव गोयल, राजीव गोयल, संजय दर्गन, अंशुल, प्रीति गोयल आदि मौजूद रहे।

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