हरिद्वार, 10 जुलाई। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में शिव विहार कालोनी ज्वालापुर स्थित प्राचीन शिव मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि देव शयनी एकादशी से देव उठनी एकादशी तक के समय को चातुर्मास कहा जाता है। चातुर्मास में भक्त भगवान नारायण की आराधना उपासना करते हैं और नारायण की प्रसन्नता के लिए भक्त श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन करते हैं।
श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से जन-जन में भक्ति का प्रचार प्रसार एवं ज्ञान का विस्तार होता है। उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम राजा परीक्षित ने सुखदेव मुनि के मुखारविंद से शुक्रताल में श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण किया और परमात्मा को प्राप्त किया। कथा के प्रभाव से धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्ति मिली। इसी प्रकार से भक्ति ज्ञान एवं वैराग्य वृंदावन में दुखी थे। हरिद्वार में देव ऋषि नारद द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कराया गया जिससे भक्ति ज्ञान वैराग्य का दुख दूर हो गया और भक्तों के हृदय में भक्ति ज्ञान वैराग्य का निवास स्थान बन गया।
शास्त्री ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा जीते जी तो मनुष्य का कल्याण करती ही है। यदि मृतक आत्मा के निमित्त श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कराया जाए तो मृतक आत्मा भी मोक्ष को प्राप्त हो जाती हैं। इस अवसर पर दीपक गुप्ता, मीनाक्षी बंसल, पंडित जगन्नाथ प्रसाद, पार्वती देवी, अनूप तिवारी, वीना गुप्ता, शांति दर्गन, पंडित गणेश कोठारी, राजेंद्र राघव, अमित नामदेव, मीनू शर्मा, रेखा आर्य आदि ने भागवत पूजन किया किया और भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया।