भक्ति के लिए शास्त्रों में कोई अवस्था निर्धारित नहीं है-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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ब्यूरो


हरिद्वार, 4 जून। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट द्वारा शिवालिक नगर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे श्रद्धालु भक्तों को कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने कहा कि भागवत कथा के श्रवण से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। कथा श्रवण के प्रभाव से जीवन एवं मरण सुधरता है। शास्त्री ने भगवान की भक्ति करने के लिए कोई अवस्था निर्धारित नहीं है। जब भी मन करे भगवान का स्मरण करना चाहिए। बहुत से लोग कहते हैं कि वृद्धावस्था में भक्ति करनी चाहिए। लेकिन यह बात गलत है। भक्ति करने के लिए शास्त्रो में कोई भी अवस्था निर्धारित नहीं है ।

भक्ति से बालक ध्रुव ने पांच वर्ष की अवस्था में ही भगवान को प्राप्त कर लिया था। शुकदेव को जन्म के बाद प्रभु के दर्शन एवं ज्ञान प्राप्ति हो गई थी। वेदव्यास ने श्रीमद्भागवत में भगवान के चौबीस अवतारों और उनकी लीला का विस्तार से वर्णन किया है। चौबीस अवतारों की कथा का जो भी श्रवण करता है। उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कथा व्यास ने कहा कि सूर्यनारायण साक्षात देवता है। जिनके हमें प्रतिदिन प्रत्यक्ष दर्शन होते हैं। सूर्याेदय से पहले सैय्या का त्याग कर स्नान ध्यान से निवृत्त होकर पूजापाठ में लग जाना चाहिए।

जो लोग सूर्य उदय के बाद सो कर उठते हैं। उनके घर मे दरिद्रता का वास रहता है। प्रत्येक माह मे दो बार एकादशी तिथि आती है। इस तिथि को व्रत रखना चाहिए। एकादशी के दिन भोजन नहीं करना चाहिए। इस दिन जो अन्न खाता है, वह पाप खाता है। शास्त्री ने कहा कि कर्मों के हिसाब से ही व्यक्ति को स्वर्ग और नरक की प्राप्ति होती है। बुरे कर्म करने वाले को नरक यातना भोगनी पड़ती हैं। मुख्य यजमान किरण गुप्ता, अशोक गुप्ता, डा.अंशु गुप्ता, डा.राजकुमार गुप्ता, मिशिका गुप्ता, मिहिका गुप्ता, हेमंत कला, दया कृष्ण शास्त्री आदि ने भागवत पूजन किया।

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