भगवान की शरण आने की प्रक्रिया है साधना- डा.प्रणव पण्ड्या

Haridwar News
Spread the love

तनवीर

हरिद्वार, 5 अक्तूबर। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डा.प्रणव पण्ड्या ने कहा कि आध्यात्मिक पुरुषार्थ का नाम साधना है। साधना से अहंकार गलता है और इससे हमारे कर्मों में सात्विकता आती है। चित्त की मलिनता दूर होती है। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में शारदीय नवरात्र में गायत्री महामंत्र जप और आध्यात्मिक साधना कर रहे साधकों को संबोधित करते हुएडा.पण्ड्या ने कहा कि भगवान के शरण आने की प्रक्रिया का नाम साधना है। इसमें ठहराव आने से भगवत् सत्ता की कृपा की प्राप्ति होती है। ईश्वरीय कृपा की प्राप्ति ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। मीरा, बुद्ध, अर्जुन, प्रह्लाद आदि के ऐसे अनेक उदाहरण र्ग्रंथों में मिलते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान हमारे हृदय से बोलते हैं, हृदय की आवाज तभी सुनाई देगी, जब अहंकार का विसर्जन होगा। शारदीय नवरात्र में गायत्री महामंत्र के जप को विशेष महत्व दिया गया है।

डा.पण्ड्या ने रामायण और श्रीमद् भगवतगीता के विभिन्न उद्धरणों के माध्यम से साधकों की मनोभूमि को साधनात्मक दिशा देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं कि अपने मन को सदैव भगवान में और भगवान के कार्यों में लगाओ। इस अवसर पर शांतिकुंज व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरी सहित देवसंस्कृति विश्वविद्यालस, शांतिकुंज परिवार तथा देश विदेश से आये सैकड़ों साधक उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *