वरिष्ठ संवाददाता रामनरेश यादव
हरिद्वार, 28 सितम्बर। महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि सनातन धर्म लोकोपयोगी पर्वाै का गुलदस्ता और विश्व का सर्वश्रेष्ठ धर्म है। जिसे भारत सहित कई देशों ने अपने संविधान में भी सम्मान दिया है। विश्व के 75 प्रतिशत देशों में सनातन धर्म के अनुयायी हैं। सूर्य सृष्टि के प्रत्यक्ष देव हैं। जिनकी ऊर्जा एवं प्रकाश से सृष्टि का संचालन होता है। सनातन धर्म सूर्य को भगवान मानता है। चंद्रमा ब्रह्मांड का उपयोगी ग्रह है। जिसकी गतिविधियों के अनुरूप ही कई धर्मों में पर्वाे का निर्धारण होता है। सनातन धर्म के पुरुष और महिलाएं दोनों ही चंद्रमा की पूजा करते हैं, इसी प्रकार मंगल, शुक्र और बृहस्पति आदि ग्रह एवं दिवसों की पूजा होती है। प्रकृति के उपयोगी वृक्ष पीपल, बरगद और नीम जो स्वास्थ्यवर्धक वायु का सृजन करते हैं। सनातन धर्म इन वृक्षों को देव तुल्य मानकर पूजता है। आयुर्वेद के अनुसार तुलसी प्रकृति का सबसे उपयोगी पौधा है। इस धर्म के अनुयायी तुलसी को भी पूजते हैं। गाय प्रकृति का सबसे उपयोगी पशु है, सनातन धर्म गाय को गौमाता मानकर पूजता है, इसके साथ ही जल, वायु, अग्नि, पत्थर एवं मिट्टी के साथ ही हिमालय पर्वत की जड़ी बूटियों एवं पाषाण तत्व से परिपूर्ण गंगाजल को सनातन धर्म के अनुयायी सर्वाधिक पवित्र मानकर गंगा माता की पूजा और स्नान दान करते हैं तथा सृष्टि एवं मानवता की संचालक तथा संरक्षण कर्ता नारी शक्ति के सम्मान स्वरूप कन्या पूजन करते हैं।