हरिद्वार की प्रतिष्ठित कवयित्री एवं संस्था की हरिद्वार इकाई की अध्यक्षा राजकुमारी राजेश्वरी के संयोजन एवं संचालन में आयोजित कार्यक्रम में संस्था के संस्थापक डा.नरेश राज़ भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही राष्ट्रीय महासचिव सीमा शर्मा, मुख्य अतिथि मकाम ट्रस्ट की अध्यक्ष नियति भारद्वाज और विशिष्ट अतिथि डा.मंजू श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष राजकुमारी राजेश्वरी, कार्यक्रम आयोजक डा.विद्या सिंह व मीना सदाना ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलन, माल्यार्पण, पुष्पार्पण तथा राजकुमारी की वाणी वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
जिला अध्यक्ष राजकुमारी राजेश्वरी ने बताया कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रही साहित्यक संस्था मकाम में संगठन, आयोजन, संयोजन, व्यवस्थापन तथा प्रतिभागियों में केवल मात्रशक्ति ही शामिल रहती हैं। उन्होंने बताया कि हरिद्वार में प्रतिमाह संस्था एक कार्यक्रम अवश्य आयोजित करती है।
कार्यक्रम में प्रतिभागी कवियित्रियों ने अनेक रसों व छंदों में काव्य पाठ किया। देहरादून इकाई की अध्यक्ष डा.ऊषा झा रेणु ने धाम रघुवर आ गए सद्भाव देने दान में से भगवान श्रीराम को नमन किया। नीता नय्यर निष्ठा ने सुनो बुरांश तुम कम कहां हो सुंदरता में कम ब्रह्म कमल से कह कर बुरांश की शान बखानी की। सीमा शर्मा की शिकायत थी- द्वार मंदिर के अटे हैं भीड़ से, पाप का फिर दौर क्यों ये चल रहा। आशा साहनी ने बताया- प्रेम की बांसुरी बन बजो साधिका, मैने गीतों में तुमको गज़ल कह दिया।
डा.विद्या सिंह ने मिले हो जबसे तुम साजन, सफर लगता सुहाना है, डा.मंजू श्रीवास्तव ने तुम्हारी देह के हवन कुंड में समिधा सी जल जाऊंगी, डा.नरेश नाज़ ने प्यार तुम्हें कितना कृष्ण से, आज बताओ राधा जी, डा.मीरा भारद्वाज ने यूं तो जग में सबकी अच्छी, पर सबसे अच्छी मेरी मां, मीनाक्षी चावला ने आई थी बनके तेरे घर का उजाला, रात सी ढलती चली जाऊंगी, नियति भारद्वाज ने भोर की पहली किरण हवाओं का कोमल स्पर्श, तुम्हारी ही तो याद दिलाता है, डा.पुष्प लता पुष्पांजलि ने कठिनाइयों के दौर में बस जी रहे हैं हम, राजकुमारी राजेश्वरीश् ने तन मन पाप पुण्य सब धोकर, हरिद्वार के घाट पर, गंगाजी की पावन रज से, करके तिलक ललाट पर, महेश्वरी कनेरी ने ना हताश हो तो उठ जरा, तू रुक नहीं तू चल जरा, निशा अतुल ने मेरी तन्हाइयों ने यह बताया है मेरे अंदर एक जमाना है, करुणा अथैया किरण ने चांद क्यों मौन है तथा डा.रजनी रंजना ने हम भी ऐसे हठी प्राण हैं, रूठे स्वजन रोक ही लेंगे सुना कर श्रोताओं को मन मोह लिया।
नीलम प्रभा ने पूछा रंग में भीगी पलकें उठाऊं या गिराऊं, रेखा जोशी बोलीं मन की अन्तर्मन यादों में जब दिखी न तेरी परछाईं, इन्द्रा तिवारी ने बेटियों का महिमा मंडन करते कहा जिस घर होती बेटियां वो जन्नत कहलाता है, मोनिका मंतशा ने दर्द की हद से अकेले ही गुज़र जाऊंगी, संगीता शाह शकुन ने चेताया सोए अस्तित्व को झिंझोड़ने में और लग जाएगी एक सदी, नीरू गुप्ता मोहिनी ने इश्क में यूं ना अब आजमाया करो, बात अपनी सनम कुछ बताया करो, महेश्वरी कनेरी ने तू हौसलों का पंख ले, तू उड़ ज़रा, तू उड़ ज़रा, डा.भगवती पनेरु ने कुछ दीप तुम जलाओ, कुछ दीप हम जलाएं, अमृता पांडे ने दीप जले हैं पुष्प खिले हैं, नवीना सिंह ने जमीन और खुला आसमान अभी बाकी है, इंद्रा तिवारी ने तन फूलों सा कोमल है, वीना जोशी हर्षिता ने हंस कर बोला कुकर एक दिन, लता पंत ने किसका कसूर ज्यादा है, दीक्षा जोशी ने मान मेरे पीड़ा घनी है सुनाया। नीरू नय्यर नीलोफर ने अपनी ग़ज़ल हूं फिदा तुझ पर पेश की तो, झरना माथुर ने देवों की देवभूमि उत्तराखंड की जय हो कह कर देवभूमि को नमन किया।
प्रदेश उपाध्यक्ष निशा अतुल्य, हरिद्वार इकाई सचिव आशा साहनी, कुसुम पंत उत्साही, आशा रावत, ममता चंद्रा, मणी अग्रवाल मणिका, डा.नीलम प्रभा वर्मा, वीना सिंह, डा.सुहेला अहमद, रवीना राज, स्वाति मौलीश्री ने आयोजन में योगदान करने के साथ अपनी रचनाएं भी प्रस्तुत की।


