राकेश वालिया
जीवात्मा के रूप में सैदव विद्यमान रहेगी पवनकली-श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह
हरिद्वार, 18 मार्च। श्री निर्मल पंचायती अखाड़े में संत महापुरूषों ने अखाड़े की हथिनी पवनकली की स्मृति में शांतिपाठ का आयोजन कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। इस दौरान बड़ी संख्या में संत समाज ने हथिनी पवनकली को मानव हितेषी व संतों की प्रिय बताया। अखाड़े की ओर से दिवंगत हथिनी पवनकली को साध्वी का दर्जा प्रदान करते हुए उनकी स्मृति में समाधि स्थापित करने की घोषणा भी की। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव ंिसंह महाराज ने कहा कि सद्गुरूओं के आशीर्वाद से भगवान श्री गणेश के स्वरूप में हथिनी पवनकली निर्मल अखाड़े को प्राप्त हुई थी। लंबे समय तक शहर में होने वाले विभिन्न धार्मिक आयोजनों की शान रही पवनकली जीवात्मा के रूप में सदैव विद्यमान रहेगी। उन्होंने कहा कि संतों के सानिध्य में जो भी जीव जंतु आ जाता है
वह भी मानवीय गुणों से युक्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि 1974 में बाल अवस्था में अखाड़े में आयी पवनकली कई महाकुंभ मेले और अर्द्धकुंभ मेले के दौरान निकलने वाली अखाड़ों की पेशवाई में आकर्षण का मुख्य केंद्र रहती थी। अखाड़े के संतों की अतिप्रिय रही पवनकली के निधन से संत समाज गमगीन है। क्षेत्र के लोग भी पवनकली से बेहद स्नेह करते थे। उन्होंने कहा कि भगवान गणेश का प्रतिरूप समझी जाने वाली पवनकली का संत समाज के प्रति योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि हथिनी पवनकली हमेशा ही अखाड़े की शान रही है। वर्षो से पवनकली शोभायात्राओं व अन्य धार्मिक आयोजनों में मुख्य भूमिका निभाती रही है। उन्होंने कहा कि जीव जन्तुओं के व्यवहार से मानव को सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कुंभ को देखते हुए जल्द ही पवनकली की बहन के रूप में एक अन्य हथिनी को अखाड़े में लाया जाएगा। पवनकली हमेशा ही सभी स्मृतियों में जीवंत रहेगी। उन्होंने कहा कि जीव जन्तुओं से सभी को प्रेम करना चाहिए। जीव जंतु भी मानव हितेषी होते हैं। पवनकली इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
महंत प्यारा सिंह व महंत अमनदीप सिंह महाराज ने कहा कि पवनकली की स्मृतियों को जीवंत बनाए रखने के लिए निर्मला छावनी में उसकी समाधि स्थापित की जाएगी। हथिनी पवनकली को भूसमाधि दिए जाने पर संतों का जनसैलाब उमड़ आया था। जो पवनकली के प्रति संतों के प्रेम को दर्शाता है। संत समाज सदैव ही मनुष्य कल्याण में अपना योगदान देता चला आ रहा है। महंत सतनाम सिंह ने बताया कि एक बार वन विभाग के अधिकारी पवनकली को जंगल में छोड़ आए थे। लेकिन जंगल में पवनकली ने खाना पीना त्याग दिया। इस पर वन विभाग के अधिकारी पुनः उसे निर्मला छावनी में छोड़ कर गए। पवनकली के अखाड़े में लौटने की खुशी में संतों ने प्रसाद वितरण किया। इस अवसर पर महंत गुरमीत सिंह, महंत प्रेमदास, महंत सतनाम सिंह, महंत श्यामप्रकाश, स्वामी ज्ञानानंद, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेशदास, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत सूरज दास, स्वामी अरूण दास, महंत जमनादास, महंत खेमसिंह, महंत सुखमन सिंह, महंत दलजीत सिंह, संत रोहित सिंह, संत विष्णु सिंह, संत तलविन्दर सिंह, संत जसकरण सिंह, ज्ञानी जैल सिंह आदि सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष मौजूद रहे।


