गोवर्धन पूजन से नष्ट होते हैं समस्त पाप-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


श्रद्धालुओं को कराया गोवर्धन महिमा का श्रवण
हरिद्वार, 26 जून। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार के तत्वाधान में माता का डेरा ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने गोवर्धन की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि एक बार पुलस्त्य मुनि भ्रमण करते हुए द्रोणाचल पर्वत पर पहुंचे। वहां द्रोणाचल पर्वत के पुत्र गोवर्धन पर्वत को देख उनके मन में आया कि गोवर्धन को काशी नगरी ले जाकर स्थापित किया जाए। द्रोणाचल पर्वत एवं गोवर्धन पर्वत दोनों ने विचार किया कि यदि पुलस्त्य मुनि की आज्ञा का पालन नहीं करते हैं तो मुनि श्राप दे देंगे। गोवर्धन ने पुलस्त्य मुनि के सामने शर्त रखी कि आप जहां भी मुझे स्थापित करोगे मैं वहां से आगे नहीं बढूंगा।

पुलस्त्य मुनि ने गोवर्धन की शर्त को स्वीकार कर अपनी हथेली के ऊपर उसे धारण किया और आकाश मार्ग से काशी के लिए प्रस्थान किया। गोवर्धन ने जब ब्रज मंडल को देखा तो उसे स्मरण आया कि यहां प्रभु श्रीकृष्ण का प्राकट्य होने वाला है और मुझे कृष्ण लीला में सम्मिलित होना है। यह सोचकर गोवर्धन ने अपना वजन बढ़ाया। पुलस्त्य मुनि शर्त को भूल गए और गोवर्धन को नीचे रखकर विश्राम करने लगे। विश्राम के बाद जब वे गोवर्धन को उठाने लगे तो गोवर्धन नहीं उठे। गोवर्धन ने कहा कि आपके और मेरे बीच हुई शर्त के अनुसार अब मैं यहीं रहूंगा और भगवान श्रीकृष्ण की लीला में सम्मिलित होउंगा। यह सुनकर पुलस्त्य मुनि को क्रोध आ गया और गोवर्धन को श्राप दिया कि आज से तुम प्रतिदिन तिल मात्र घटते जाओगे।

जिस दिन तुम्हारा अस्तित्व मिट जाएगा। उसी दिन महाप्रलय होगा। तभी से गोवर्धन प्रतिदिन तिल मात्र घट रहे हैं। गोवर्धन का यह समर्पण देखकर स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन का पूजन किया और ब्रजवासियों से भी गोवर्धन का पूजन कराया। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि आज से जो गोवर्धन का पूजन, परिक्रमा और दर्शन करेगा। उसके समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे और वह वैकुंठ लोक का अधिकारी बन जाएगा। इस अवसर पर मुख्य यजमान कमलेश मदान, राकेश नागपाल, मुकेश चावला, अमित गेरा, संजय सचदेवा, दीपक बजाज, नीरू, रीना, भावना, लक्की, कविता, मंजू, कमल, कनिका, सुषमा, कविता, रेणु, आशा, जिज्ञांशा, ऋषभ, आयुषा, ललिता गेरा, बाला शर्मा, दर्शना छाबरा, आचार्य महेशचंद्र जोशी, पंडित रामचंद्र तिवारी, पंडित गणेश कोठारी, नरेश मनचंदा, राजू मनचंदा आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।

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