तनवीर
हरिद्वार, 1 मार्च। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज द्वारा देशभर के विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के माध्यम से सनातन संस्कृति से जोड़ने का अभिनव प्रयोग किया जा रहा है। वर्ष 2024 में देश भर के एक लाख स्कूलों में हिन्दी, अंग्रेजी, तेलुगू, गुजराती, ओडिया सहित 11 भाषाओं में भासंज्ञाप कराई गयी थी। इससे करीब एक लाख शिक्षक, शिक्षिकाएं जुड़े। भारत के कोने कोने से पहुंचे इन संस्कृति विस्तारकों की दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शांतिकुंज में शुभारंभ हुआ।
संगोष्ठी में 18 राज्यों के 390 प्रतिभागी मौजूद रहे। संगोष्ठी के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए डा.चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि जैसे बाल्यकाल में श्रीराम और श्रीकृष्ण ने गुरु के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की, उसी तरह आज के युवा को भी संस्कृति, शिक्षा और आध्यात्मिकता के महत्व को समझते हुए अपने जीवन को दिशा देने की आवश्यकता है। भावी पीढ़ी ही देश की कर्णधार हैं। इन्हें सकारात्मक दिशा देने एवं प्रशिक्षित करते रहने से परिवार, समाज व राष्ट्र चहुंमुखी विकास कर पायेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का संदेश वसुधैव कुटुंबकम है, जो सभी मानवता को एक परिवार के रूप में देखता है।
आज के युवा को इस सोच को आत्मसात करना चाहिए, ताकि समाज में सामूहिक भाईचारे और समृद्धि की भावना बनी रहे। इस अवसर पर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डा.चिन्मय पण्ड्या ने 14 राज्यों के प्रांतीय समन्वयकों सहित सर्वाधिक विद्यार्थियों तक पहुंचने वाले 10 जिला समन्वयकों को प्रशस्ति पत्र, गायत्री मंत्र चादर आदि भेंटकर सम्मानित किया। सभी ने संकल्प लिया कि शांतिकुंज के मार्गदर्शन में देश की भावी पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़े रखने के लिए तन, मन धन से सतत सक्रिय रहेंगे।
भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के समन्वयक ने बताया कि वर्ष 2024 में उत्तराखण्ड, बिहार, झारखण्ड, गुजरात, पंजाब, दिल्ली, आंध्रप्रदेश सहित देश के 22 राज्यों में एक लाख स्कूलों के 42 लाख विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में शामिल किया गया। इसमें करीब दो लाख शिक्षक-शिक्षिकाओं का सहयोग मिला। इस अवसर पर भासंज्ञाप प्रांतीय समन्यक शंकरभाई पटेल (गुजरात), रामपाल तिवारी (छत्तीसगढ़), शंकर लाल भांवरकर (गुजरात), ताराचंद अग्रवाल (झारखण्ड), बीएस ठाकुर (हिमालच प्रदेश), एसआर चौधरी (मप्र) सहित अनेक लोग मौजूद रहे।


