विडियो :-अदभूत स्वरूप में संपन्न होगा कुंभ महापर्व-स्वामी अवधेशानंद गिरी

Haridwar News
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कमल खडका

हरिद्वार, 27 फरवरी। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के तत्वाधान में कुंभ मेले में आने वाले नागा साधुओं के लिए ललताराव पुल के निकट हनुमान मंदिर प्रांगण में अखंड भंडारे का शुभारंभ जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने किया। उन्होंने कहा कि महापर्व कुंभ मेले के पावन अवसर पर जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता एवं श्री दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर गाजियाबाद के श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज के सौजन्य से श्री दूधेश्वर अन्नपूर्णा भंडार की ओर से माघ पूर्णिमा स्नान से लेकर कुंभ पर के समापन तक अखंड भंडारे का आयोजन किया जा रहा है।

स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने कहा कि कोरोना के दृष्टिगत सरकार की ओर से कुंभ की अवधि को छोटा किया गया है। लेकिन छोटे समय में भी कुंभ का स्वरूप भव्य और दिव्य होगा। उन्होंने कहा कि काल और परिस्थिति के अनुसार आचरण करना चाहिए । कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को आचरण की सीख संतो से लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कुंभ सभ्यता, संस्कृति, संस्कार, ज्ञान, विज्ञान का पर्व है। इस दौरान कंदराओं में रहने वाले नागा संयासी गंगा स्नान करने आते हैं। भारतीय संस्कृति, सनातन परंपरांओं व सभ्यता का एकीकरण कुंभ पर्व पर देखने को मिलेगा। कोरोना संक्रमण धैर्य व संयम की परीक्षा है।

सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए सुव्यवस्थित तरीके से कुंभ मेले को सकुशल संपन्न कराने में अपना सहयोग प्रदान करें। अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी महाराज ने कहा कि सरकार की व्यवस्थाओं में संत समाज पूर्ण सहयोग प्रदान कर रहा है। कुंभ का आयोजन प्रांरभ हो चुका है। उन्होंने कहा कि धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार संत महापुरूषों द्वारा किया जाता रहा है। धर्म की महत्ता को दर्शाने में संत समाज निर्णायक भूमिका निभाता चला आ रहा है।

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता एवं श्री दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर के श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि निस्वार्थ सेवा भाव से मानव कल्याण में योगदान करना ही सच्ची ईश्वर भक्ति है। संत महापुरूषों के मुख से निकली वाणी निर्मल जल के समान होती है। कुंभ का दर्शन ही समाज को संस्कृति का साक्षात्कार कराता है। कुंभ में आने वाले नागा संयासियों के लिए अखण्ड भण्डारे का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर श्रीमहंत कन्हैया गिरी, श्रीमहंत गिरीशानंद गिरी, महंत विजय गिरी, अनुज गर्ग, धर्मपाल गर्ग आदि मौजूद रहे।

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