नगर निगम बोर्ड व मेयर की जानकारी के बिना ही किया जा रहा है जमीनों का आवंटन

Haridwar News
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ब्यूरो


उपेक्षा से खिन्न मेयर दे सकती हैं इस्तीफा-अशोक शर्मा
हरिद्वार, 14 मई। मेयर प्रतिनिधि अशोक शर्मा ने आरोप लगाया है कि सरकार के दबाव में काम कर रहे अधिकारी बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास कराए बिना ही सरकारी जमीनों का आवंटन कर रहे हैं। मनमाने तरीके से काम कर रहे अधिकारी मेयर को जानकारी देना भी उचित नहीं समझते हैं। उन्होंने कहा कि आदेशों की अवेहलना और उपेक्षा से आहत मेयर इस्तीफा भी दे सकती है। प्रैस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए अशोक शर्मा ने आरोप लगाया कि जनता द्वारा चुनी गयी मेयर को चुने जाने के बाद से ही काम नहीं करने दिया गया।

सरकार के दबाव में काम कर रहे अधिकारी मेयर के आदेशों का पालन नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा सरकारी जमीनों से अवैध कब्जे हटाने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। दूसरी और नगर निगम के अधिकारी बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास हुए बिना ही निगम की जमीनों और आवासों का आवंटन कर रहे हैं। पंउन्होंने कहा कि दो दिन पूर्व 12 मई को मेयर को देवपुरा स्थित नगर निगम के एक आवास पर अवैध कब्जे की जानकारी मिली थी।

जानकारी मिलने पर मेयर अनिता शर्मा मौके पर पहुंची तो आवास में एक महिला समूह का कब्जा पाया गया। आवास आवंटन के संबंध में महिला समूह नगर निगम द्वारा जारी कोई अनुमति पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाया। भवन पर कब्जे के साथ बिजली का भी अवैध रूप से उपयोग किया जा रहा था। बिजली विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में जानकारी दी गयी है। इस संबंध में मुख्य नगर आयुक्त को कब्जा करने वाली संस्था के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं। लेकिन अब तक भी अधिकारियों द्वारा इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गयी। उल्टा मेयर पर ही दबाव बनाया जा रहा है।

शोक शर्मा ने बताया कि उत्तरी हरिद्वार में पावन धाम के समीप स्थित नगर निगम की करोड़ों रूपए कीमत की भूमि का सौन्दर्यकरण व पार्क निर्माण के नाम पर एक संस्था को आवंटित करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिसका मेयर द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है। इसके अलावा भल्लां इंटर कालेज के पुराने साईकिल स्टैंड की जमीन भी मेयर व बोर्ड की जानकारी के बिना ही एक संस्था को मुक्केबाजी प्रशिक्षण केंद्र के लिए आंवटित करने का प्रयास किया जा रहा है। अशोक शर्मा ने कहा कि जनता द्वारा चुने जाने के बावजूद जनहित में काम नहीं करने दिए जाने के बाद मेयर के पास एक ही रास्ता है कि पद ही छोड़ दिया जाए। उन्होंने बताया कि मेयर द्वारा इस संबंध में गंभीरता से विचार भी किया जा रहा है।

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