अमरीश
हरिद्वार, 24 सितम्बर। आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सरकारी क्षेत्र के निजीकरण पर रोक, एससी, एसटी, ओबीसी व अल्पसंख्यकों को निजी क्षेत्र में आरक्षण आदि मांगों को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय के माध्यम से राष्ट्रपति का पांच सूत्रीय ज्ञापन प्रेषित किया। ज्ञापन में सरकारी संस्थाओं, उपक्रमों विभागों के निजीकरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने, एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों को निजी क्षेत्र में आरक्षण देने, नियुक्तियों में लैटरल इंट्री, आउटसोर्सिंग, संविदा पर नियुक्ति की नीति को बंद करने, सफाई कर्मचारियों को अस्थायी नियुक्ति के बजाए स्थायी नियुक्ति देने, तीनों किसान विरोधी बिलों को वापस लेने की मांग की गयी है।
इस दौरान रजनीश कुमार व राशिद अली ने कहा कि कल्याणकारी राज्य की स्थापना सुनिश्चित करने के लिए भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए गए हैं। सदियों स सामाजिक बहिष्कार एवं शोषण के शिकार रहे वंचित समुदाय के लोगों को राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है। लेकिन संविधान लागू होने के इतने वर्षो बाद भी किसी भी विभाग में निर्धारित आरक्षण को आज तक पूरा नहीं किया गया। जिन उपक्रमों, संस्थानों, विभागों में आरक्षण का प्रावधान नहीं है। वहां आरक्षण की श्रेणी में आने वाले वर्गो का प्रतिनिधित्व शून्य है।
केंद्र सरकार कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के विपरीत जातिवादी एवं पूंजीवादी व्यवस्था को देश पर थोप रही है। रेलवे, बैंक, एलआईसी, ओएनजीसी सहित तमाम विभागों को पंूजीपतियों के हवाले किया जा रहा है। शासन प्रशासन में अधिकारियों की नियुक्ति लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के बजाए लेटरल इंट्री से की जा रही है। अन्य क्षेत्रों में भी आउटसोर्सिंग व संविदा के आधार नियुक्तियां की जा रही हैं। जो कि शिक्षा व्यवस्था पर सीधा हमला है। पंूजीपतियों के इशारे पर निजीकरण को बढ़ावा देने से सरकार के शिक्षा विरोधी चरित्र को दर्शाता है।
छात्र विरोधी निजीकरण व्यवस्था को समाप्त किया जाए। हाल ही में संसद से पास किए गए किसान विरोधी बिलों को तत्काल वापस लिया जाए। ज्ञापन देने वालों में पवन कुमार, बिल्लू, आशीष, रोहित, गौरव, दीपक, मेहरबान सहित कई कार्यकर्ता शामिल रहे। —————————