दीपशिखा सम्मान समारोह एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया

Haridwar News
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तनवीर


हरिद्वार, 30 अक्तूबर। दीपशिखा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच के संस्थापक एवं साहित्यकार स्व. के.एल. दिवान की 89वीं जन्म जयंती तथा संस्था के स्थापना दिवस के उपलक्ष में दीपशिखा सम्मान समारोह एवं सरस कवि गोष्ठी का आयोजन माॅडल कालोनी स्थित होटल में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन व पुष्पार्पण, प्रेम शंकर शर्मा प्रेमी की वाणी वंदना से हुआ। इस दौरान संस्कृत एवं योग के विशिष्ट विद्वान, लेखक एवं योगाचार्य प्रो.ईश्वर भारद्वाज को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए के.एल. दिवान साहित्य साधक सम्मान, कवि अरुण कुमार पाठक को आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रकाशित उनके काव्य संकलन आजादी के परवाने के लिये दीपशिखा सारस्वत सम्मान, कवि तुषारकांत पाण्डेय को उनकी हास्य-व्यंग्य विधा के लिये माँ शारदे वरदहस्त सम्मान तथा उभरती कवियत्री एवं चित्रकार सुश्री वृंदा शर्मा को उनकी दस श्रेष्ठ कविताओं के लिये उदीयमान प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किया गया।

दीपशिखा की अध्यक्षा डा. मीरा भारद्वाज, उपाध्यक्ष उमेश शर्मा, सचिव डा.सुशील कुमार त्यागी अमित तथा सहसचिव प्रफुल्ल ध्यानी ने सभी को सम्मान पत्र प्रदान किए। सम्मानित किए गए साहित्यकारों को माला, दुशाला, प्रतीक चिन्ह तथा साहित्य भी भेंट किया गया। पिछले दिनों पीटर्सबर्ग व अलमाटी में हुईं दो अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पांच स्वर्ण पदक जीतने वाली पावरलिफ्टर संगीता राणा को भी दीपशिखा मंच से सम्मानित किया गया।

दीपशिखा की अध्यक्षा डा.मीरा भारद्वाज ने कहा कि साहित्यकार के.एल. दिवान का साहित्यिक जीवन भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी मधुर स्मृतियाँ आज भी हम सब के साथ हैं। सचिव डा.सुशील कुमार त्यागी अमित व सहसचिव प्रफुल्ल ध्यानी ने सभी का धन्यवाद करते हुए बताया कि दीपशिखा साहित्य साधकों को सम्मानित करने के साथ-साथ, नए कवियों, लेखकों तथा प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का प्रयास भी करती है।
कार्यक्रम में कवि गोष्ठी का आयोजन भी किया गया। जिसमें डा.मीरा भारद्वाज ने प्रेम भक्ति में डूबी शबरी जूठे बेर खिलाती है, सुशील कुमार त्यागी अमित ने कामना की पाप ताप संताप से जीवन बचा रहे मानव काश, अरुण कुमार पाठक ने गीत बहुत कहना है मुझे तुमसे, तुम सुनो तो कहूं प्रस्तुत किया। प्रफुल्ल ध्यानी ने यकीं करता हूँ सुकरात के प्याले पर, डा. अशोक गिरी ने हिन्दी आज परिहास का विषय बन गयी है, उत्तर में नायिका दक्षिण में खलनायिका बन गयी है के साथ हिन्दी की बात की। कंचन प्रभा गौतम ने दुनिया तो पत्थर मारेगी, तुम चुन कर महल बना लेना, साधु राम पल्लव ने जीवन योग कहा ऋषियों ने, तुम इसको भोग न समझो तो वृंदा शर्मा ने गीत खिलूँ झरूँ महकूँ महकाऊँ, तुमको हार सिंगार से सुनाकर वाह-वाही लूटी।

गोष्ठी में अरविंद दुबे, सुभाष मालिक, डा.विजय त्यागी, शशि रंजन समदर्शी, महेश भट्ट, डा.निशा शर्मा, देवेंद्र मिश्रा, मदन सिंह यादव, तुषार कांत पाण्डेय, प्रेम शंकर शर्मा प्रेमी, सुन्दर सिंह, डा.विजय त्यागी, डा.रजनी रंजना, डा.सुरेन्द्र शर्मा आदि ने भी काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन डा.सुशील कुमार त्यागी अमित ने किया। प्रो.ईश्वर भारद्वाज, डा.राधिका नागरथ, अनिल दीवान, मोनिका दीवान, चेतना पाण्डेय, मिथलेश भारद्वाज आदि ने भी स्व.के.एल, दिवान को भावांजलि प्रस्तुत की।

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