तनवीर
एकता, भाईचारे और सौहार्द का पर्व है ईद-हाजी नईम कुरैशी
हरिद्वार, 28 मार्च। मुकद्दस माह-ए-रमज़ान के अलविदा जुमे की नमाज शहर और देहात की मस्जिदों में अकीदत के साथ अदा की गई। नमाजियों ने नमाज अदा कर मुल्क में अमन चैन की दुआएं मांगी। अलविदा जुमे का विशेष खुतबा मस्जिदों में बयान किया गया। मौलानाओं ने ईद की नमाज से पहले-पहले फितरा और जकात अदा करने के लिए कहा। शुक्रवार को माह-ए-रमजान के (चौथे) अलविदा जुमे को लेकर रोजेदारों में उत्साह देखते ही बन रहा था। रोजेदारों के चेहरों पर जहां ईद आने की खुशी दिखाई दी। वहीं रमजान के रुखसत होने का गम भी था।
भेल मस्जिद के इमाम मुफ्ती इंतजार अहमद ने कहा कि रमजान धीरे-धीरे रुखसती की ओर है। रमजान के जितने भी दिन बचे हैं। उसमें ज्यादा से ज्यादा इबादत कर अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए। कहा कि अल्लाह ने ईद रमजान का इनाम रखा है। गरीब, जरूरतमंद लोगों की मदद करें। पड़ोस व आसपास में रहने वाला कोई इंसान भूखा न रहे, इसका ध्यान भी रखें। रमजान में एक नेकी करने पर अल्लाह ने 70 नेकियों का सवाब रखा है। इसलिए इबादत के साथ ही नेक और अच्छे काम करने चाहिए। रमजान अच्छाई का रास्ता दिखाता है
उस रास्ते पर सबको चलना चाहिए। जकात और फितरे के बारें में रोजेदारों को जानकारी दी और कहा ईद की नमाज से पहले फितरा और जकात अदा करनी जरुरी होता है। हर दौलतमंद इंसान को अपनी दौलत का ढाई प्रतिशत हिस्सा गरीबों, यतीमों को देना जरुरी है।
हाजी नईम कुरैशी ने कहा कि रमजान इबादत का महीना है। इसांनियत का पैगाम देते हुए ईद पर गरीब, असहाय, निर्धन परिवारों की मदद करें। ईद पर्व भाईचारे, एकता और सौहार्द को दर्शाने वाला पर्व। मिलजुल कर पर्व मनाना चाहिए।