हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार डा.कमलकांत बुधकर का निधन

Haridwar News
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राहत अंसारी

हरिद्वार, 14 नवम्बर। वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार डा.कमलकांत बुधकर का रविवार सवेरे निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे 72 वर्षीय डा.बुधकर ने सवेरे करीब सात बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन से पत्रकारिता जगत में शोक की लहर है। शहर की धार्मिक, आध्यात्मिक व्यापारिक, सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोगों ने उनके निधन पर शोक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। शाम चार बजे खड़खड़ी शमशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।

उनके बड़े पुत्र सौरभ बुधकर ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के दौरान तमाम पत्रकार व पूर्व मेयर मनोज गर्ग, पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ, पूर्व राज्यमंत्री विमल कुमार सहित राजनीति व समाजसेवा से जुड़े अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे

हरिद्वार प्रैस क्लब के संस्थापकों में शामिल रहे वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार डा.कमलकांत बुधकर क्लब के अध्यक्ष तथा महामंत्री भी रहे हैं। गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग में डा.बुधकर के सानिध्य में हरिद्वार के दर्जनों पत्रकारों ने पत्रकारिता का ककहरा सीखा।

उत्तराखंड ही नही देश के जाने माने वरिष्ठ पत्रकारो में शामिल में डा.कमलकांत बुधकर ने धर्मयुग, हिन्दुस्तान जैसी पत्र पत्रिकाओं से पत्रकारिता की शुरूआत की और लंबे समय तक नवभारत टाइम्स के हरिद्वार प्रभारी रहे। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं।

19 जनवरी 1950 को हरिद्वार में मराठी परिवार में जन्मे डा.कमलकांत बुधकर ने कई महाविद्यालयों में प्राध्यापक के रूप में कार्य किया। गुरूकुल कांगड़ी विवि के हिंदी विभाग में तैनाती के दौरान पत्रकारिता विभाग में भी कार्यरत रहे।

अ.भा. तरुण संघ देहरादून द्वारा तरुणश्री की उपाधि से सम्मानित डा.कमलकांत बुधकर को
सहारनपुर की प्रतिबिम्ब, हरिद्वार की जैन मिलन और यूपी के गंगोह, आदि की संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया
। प्रभु प्रेमी संघ अम्बाला द्वारा 1995 का ज्ञानभारती सम्मान के अलावा सुधांशु जी की संस्था द्वारा सद्ज्ञान सम्मान तथा 2007 में अयोध्या में उन्हें श्री रामकिंकर सम्मान से भी सम्मानित किया गया।

मशहूर फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन के मित्रों में शामिल डा.बुधकर ने कई पुस्तकों का लेखन भी किया है। जिनमें उनकी पाती अपनी थाती 2004 (पत्रों के बहाने बच्चन की याद) नवभारत टाइम्स, नई दिल्ली। कतार कन्दीलों की 2004, (काव्यसंकलन) आयास प्रकाशन, हरिद्वार। पुनि जहाज पै आवै डा.इन्दुप्रकाश पाण्डेय सम्मानग्रंथ, आयास प्रकाशन, हरिद्वार। हरिद्वार गंगाद्वारे महातीर्थे, 1992, प्रकाशक हरिद्वार विकास प्राधिकरण, हरिद्वार। बातें.मुलाकाते (साक्षात्कार संकलन), 1974 प्रकाशक गुरुकुल कांगड़ी विवि हरिद्वार। अक्षर अर्पण (डॉ॰प्रभाकर.माचवे सम्मानग्रंथ), 1974 आयास प्रकाशन, हरिद्वार। एक आयास अनायास (काव्य संकलन), 1974 आयास प्रकाशन, हरिद्वार। कुम्भनगर हरिद्वार (हिन्दी), 1986 प्रकाशक सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उ.प्र.। कुम्भनगर हरिद्वार (अंग्रेजी), 1986 प्रकाशक सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उ.प्र.। अर्द्धकुम्भ. 1992 हरिद्वार, प्रकाशक उ.प्र. पर्यटन विभाग लखनऊ। मै हरिद्वार बोल रहा हूं, 2010, हिन्दी साहित्य निकेतन यूपी प्रमुख हैं।

वरिष्ठ पत्रकार कौशल सिखोला, एसएस जायसवाल, रतनमणि डोभाल, गोपाल रावत, सुनील दत्त पांडे, रामचंद्र कन्नौजिया, विक्रम छाछर, प्रैस क्लब अध्यक्ष राजेंद्रनाथ गोस्वामी, महामंत्री राजकुमार, प्रैस क्लब के पूर्व अध्यक्ष राजेश शर्मा, प्रवीण झा, दीपक नौटियाल, श्रवण झा, संजय रावल, अविक्षित रमन, अनिरूद्ध भाटी, अमित गुप्ता, राहुल वर्मा, संजय आर्य, मुदित अग्रवाल, अमरीश कुमार, तनवीर अली, योगेश योगी, परविन्दर कुमार, योगेद्र चौहान, शाहनवाज, राहत अंसारी, धर्मेन्द्र चौधरी, विकास झा, नरेश गुप्ता, विकास चौहान, शिवा अग्रवाल, रविन्द्र सिंह, लव शर्मा, मुकेश वर्मा, राजकुमार पाल आदि सहित तमाम पत्रकारों ने डा.बुधकर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।


कमलकांत बुधकर के साथ शतपथ टीम की सरस्वती यात्रा की यादें

गुरुकुल के प्रशिक्षु पत्रकारों की प्रायोगिक पत्रिका शतपथ मायापुरी से मायानगरी तक 2008 मे वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार कवि पत्रकारिता के स्तंभ राज्य के गौरव प्राध्यापक कमलकांत बुधकर के साथ शतपथ टीम की सरस्वती यात्रा एवं महानायक अमिताभ बच्चन से भेंटवार्ता कराना उनकी उत्कृष्ट प्रतिभा को दर्शाता है।

गुरुकुल कांगड़ी के प्रशिक्षु पत्रकार कमलकांत बुधकर की शिक्षाओं का अनुसरण कर पत्रकार जगत में अच्छी खासी पहचान रखते हैं।मुंबई यात्रा के दौरान प्रशिक्षु पत्रकारों की टीम कमलकांत बुधकर के साथ व्यतीत किए गए पलों को याद कर रहे हैं।शिक्षक कुशल वक्ता कलम के जादूगर पत्रकारिता के स्तंभ कमलकांत बुधकर का जाना पत्रकार जगत के लिए अपूरणीय क्षति है

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