राकेश वालिया
हरिद्वार, 11 जून। संतों का जीवन सदैव परोपकार को समर्पित होता है और महापुरूषों ने समाज को नई दिशा प्रदान की है। ब्रहमलीन महंत शिवानंद महाराज एक दिव्य महापुरूष थे। जिन्होंने अपने जीवनकाल में सदैव सत्य का अनुसरण करते हुए समाज को ज्ञान की प्रेरणा दी। उक्त उद्गार श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर म.म.स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कनखल स्थित सतीघाट पर कनखल स्थित आध्यशक्ति महाकाली आश्रम के सेवादार ब्रह्मलीन महंत शिवानंद महाराज के अस्थि प्रवाह के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि महापुरूष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी आत्मा समाज कल्याण के लिए सदैव उपस्थित रहती है। ब्रह्मलीन स्वामी शिवानंद महाराज तो साक्षात त्याग व तपस्या की प्रतिमूर्ति थे।
जिन्होंने जीवन पर्यन्त महापुरूषों की सेवा कर अनेकों सेवा प्रकल्पों के माध्यम से संत समाज का गौरव बढ़ाया। ऐसे महापुरूषों को संत समाज नमन करता है। उन्होंने कहा कि स्वामी शिवानंद महाराज ने अपने शालीनता पूर्ण व्यवहार से सदैव सभी को भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने को प्रेरित किया। धर्म के उत्थान में उनका योगदान सदैव ही अहम रहा। स्वामी राधाकांताचार्य एवं स्वामी अनुरागी महाराज ने कहा कि स्वामी शिवानंद महाराज एक महान संत थे। सभी को उनके दिखाए मार्ग का अनुकरण करते हुए धर्म व मानव सेवा में योगदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि महापुरूषों का जीवन सदैव धर्म एवं समाज की सेवा के लिए समर्पित रहता है। महापुरूषों के जीवन से प्रेरणा लेकर धर्म के मार्ग पर चलते हुए सभी को समाज कल्याण में अपना योगदान प्रदान करना चाहिए।
स्वामी लालबाबा ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी शिवानंद महाराज का जीवन निर्मल जल के समान स्वच्छ एवं सात्विक था। जिन्होंने सदैव धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए अग्रणी भूमिका निभाकर कार्य किया। समाज कल्याण में उनका अहम योगदान भुलाया नहीं जा सकता। इस दौरान पंडित शिवकुमार शर्मा, अंकुश शुक्ला, आचार्य पवनदत्त मिश्र, पंडित प्रमोद पाण्डे, स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी, सागर ओझा, बालमुकंदानंद ब्रह्मचारी, रामसिंह, अनूप भारद्वाज आदि उपस्थित रहे।